प्रिय पाठक वृंद,
सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम, सुप्रभात,
मां सरस्वती का आशीर्वाद सदा बना रहे, श्री गणेश जी व माता लक्ष्मी जी, मां सरस्वती जी इन तीनों का संयुक्त आशीर्वाद मुझ पर वह आप सभी पर हो।
आज प्रवाह की इस यात्रा में हम बात करेंगे, मानवीय गरिमा पर, हम सभी मनुष्य हैं, भूल होना मानवीय स्वभाव है, परंतु चुप होने पर भी उसे न मानना, केवल अपनी ही है पर अड़े रहना, यह भी मानवीय गरिमा के विपरीत व्यवहार ही माना जायेगा, हमारी वाणी दरअसल वह है, जो हमारी अन्य से या तो दूरी बना देती है
या नजदीकी बना देती है, विपरीत समय आने पर भी जो सदा विनम्र हो, सही समय में भी अपने सद्गुणों को न छोड़ें, निरंतर जो भी मानवीय गरिमा के अनुकूल हो, वह बर्ताव ही निरंतर करें, यह केवल प्रभु की मंगल कृपा मात्र से ही संभव हो सकता है।
मनुष्य जीवन में धन , वैभव, यह सब उसकी कृपा व आशीर्वाद मानकर सदैव विनम्र भाव से ग्रहण करें, सतत अभ्यास करते रहें , अपनी दुर्बलताओं पर हम कार्य करें , वह जो भी सद्गुण हममें व अन्य में हो, उन पर ही दृष्टि रखें, यह समस्त संसार गुण- अवगुण से युक्त है, हम अपने नीर-क्षीर , विवेक का उपयोग करें,
सजग रहकर अपना कार्य करें, बस यही हमारी उपलब्धि है।
अपने कार्य को संपूर्ण ईमानदारी से करने की कोशिश करें,
फिर उसे परमपिता पर सब भार छोड़ दें, इसका यह अर्थ नहीं है
कि हम कोशिश ही न करें, अपनी सही कोशिश नित्य, निरंतर
करते रहें, समावेशी भाव से कार्य करें, अपने नित्य कर्म वह जो भी कर्म आपका हो, वह संपूर्ण ईमानदारी से करने का प्रयास करें,
वह प्रकृति निश्चित ही आपको अपने अमूल्य उपहार से नवाजेगी,
सत्य पथ पर अडिग रहे, प्रभु से निरंतर प्रार्थना करें।
उनके आश्रय के बिना समस्त उपलब्धियां भी किसी काम की नहीं, कृपा- शरण में ही रहें।
अन्य शरणागति का भाव रखते हुए अहोभाव से उस परमात्मा का नित्य मंगल सुमिरण अवश्य करें, उसके कृपा- प्रसाद को नित्य अनुभव करें।
मानवीय गरिमा को न भूले, सतत अभ्यास द्वारा, नित्य निरंतर ही उसकी कृपा में रहें।
शरणागति जब उसकी हो जाती है, अन्य की शरण फिर जाना ही नहीं पड़ता, उसकी कृपा को अनुभव करते रहें।
विशेष:- हमारी वाणी द्वारा ही हम कार्य को बनाते है, या बिगाड़ते हैं, अतः वाणी का ध्यान रखें, वाणी ही कार्य को बनाती है, या बिगाड़ती है। परम भाव से प्रभु स्मरण करते रहें, मानवीय मूल्यों व गरिमा को कभी ना भूले।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जयभारत
जय हिंद