प्रिय पाठक वृंद,
सादर नमन,
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो, इन्ही सुंदर भावों के साथ इस लेख की शुरुआत कर रहा हूं।
आज अंतर्यात्रा के भाग तीन में हम बात करेंगे कि किस प्रकार से हम हमारा आंतरिक रुपांतरण करें। बाह्य रूप में हम सुंदर वस्त्र पहनकर सज्जित हो जाते हैं पर वैचारिक सौंदर्य जो भी भीतर चल रहा होता है, वह अंततः आपके मूल व्यक्तित्व का परिचायक होता है।
मानवीय गुणों में धैर्यशाली होना एक प्रमुख गुण है। जो मनुष्य धैर्यवान होता है, वह अपनी मंजिल को अवश्य पाता है। जीवन में सफलता के लिए एक सूत्र है धैर्य, दूसरा महत्वपूर्ण सूत्र है समय संयम, तीसरा महत्वपूर्ण सूत्र हैं वाणी संयम, चौथा सूत्र अर्थ संयम, पाँचवा सूत्र है परिस्थितियों का सूझ-बूझ पूर्वावलोकन व उसके बाद अपनी रणनीति का निर्धारण।
इन पाँच सूत्रों का सटीक परिपालन करते जाएंगे तो आप देखेंगे की आपके व्यक्तित्व, कृतित्व व आर्थिक तीनों ही जगह पर आप महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल कर लेंगे।
इन सबके अलावा छठा सूत्र है समाज में अच्छे विचारों का प्रचार प्रसार, यह एक सामाजिक प्रतिबद्धता के नाते अवश्य करें। इससे आपकी आंतरिक ऊर्जा में अभिवृद्धि होगी, बनते कोशिश सभी के साथ सहयोग का बर्ताव करें, ईश्वर निश्चित ही आपको आंतरिक व बाह्य दोनों ही समृद्धि से नवाजेगा। मेरे लेख में कुछ शब्द उर्दू या फारसी के भी हो सकते हैं पर मैं अपने मन्तव्य की गहराई को समझता हूं कि आप सभी तक सरलतम रूप में पहुंचा सकूँ।
पुनः आप सभी को धन्यवाद, जो भी मेरे लेख पढ़ रहे हैं उन्हें भी शत-शत नमन। आप सभी का जीवन समृद्धि से भरपूर हो।
आपका अपना,
सुनील शर्मा।
सादर नमन,
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो, इन्ही सुंदर भावों के साथ इस लेख की शुरुआत कर रहा हूं।
आज अंतर्यात्रा के भाग तीन में हम बात करेंगे कि किस प्रकार से हम हमारा आंतरिक रुपांतरण करें। बाह्य रूप में हम सुंदर वस्त्र पहनकर सज्जित हो जाते हैं पर वैचारिक सौंदर्य जो भी भीतर चल रहा होता है, वह अंततः आपके मूल व्यक्तित्व का परिचायक होता है।
मानवीय गुणों में धैर्यशाली होना एक प्रमुख गुण है। जो मनुष्य धैर्यवान होता है, वह अपनी मंजिल को अवश्य पाता है। जीवन में सफलता के लिए एक सूत्र है धैर्य, दूसरा महत्वपूर्ण सूत्र है समय संयम, तीसरा महत्वपूर्ण सूत्र हैं वाणी संयम, चौथा सूत्र अर्थ संयम, पाँचवा सूत्र है परिस्थितियों का सूझ-बूझ पूर्वावलोकन व उसके बाद अपनी रणनीति का निर्धारण।
इन पाँच सूत्रों का सटीक परिपालन करते जाएंगे तो आप देखेंगे की आपके व्यक्तित्व, कृतित्व व आर्थिक तीनों ही जगह पर आप महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल कर लेंगे।
इन सबके अलावा छठा सूत्र है समाज में अच्छे विचारों का प्रचार प्रसार, यह एक सामाजिक प्रतिबद्धता के नाते अवश्य करें। इससे आपकी आंतरिक ऊर्जा में अभिवृद्धि होगी, बनते कोशिश सभी के साथ सहयोग का बर्ताव करें, ईश्वर निश्चित ही आपको आंतरिक व बाह्य दोनों ही समृद्धि से नवाजेगा। मेरे लेख में कुछ शब्द उर्दू या फारसी के भी हो सकते हैं पर मैं अपने मन्तव्य की गहराई को समझता हूं कि आप सभी तक सरलतम रूप में पहुंचा सकूँ।
पुनः आप सभी को धन्यवाद, जो भी मेरे लेख पढ़ रहे हैं उन्हें भी शत-शत नमन। आप सभी का जीवन समृद्धि से भरपूर हो।
आपका अपना,
सुनील शर्मा।
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