प्रिय पाठक वृंद,
सादर नमन।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो, ईश्वर सभी का कल्याण करें इसी सुंदर भाव के साथ अंतर्यात्रा भाग 8 में आज चर्चा का विषय है विचार, जो विचार हमारे मन मस्तिष्क में सबसे अधिक बार दोहराया जाता है, वह अंततः कर्म रूप में सामने आ जाता है। विचारों का चयन सावधानीपूर्वक करें क्योंकि आप अपने अंतर्मन में जिन विचारों के बीच डालेंगे वह देर सवेरे प्रस्फुटित अवश्य होगे।
प्रथम विचार हमारे मन में अनगिनत आते ही रहते हैं, उनमें से कोई ऐसे तीन या चार विचार जो आपको अपनी जीवन चर्या के अनुकूल जान पड़ते हैं, उन्हें अपनाएं जैसे सुबह जल्दी उठने का अभ्यास, उस समय आप के जो भी इष्ट हो उनके सुमिरन का अभ्यास, प्रार्थना केवल अपने लिए ही नहीं संपूर्ण विश्व के लिए कीजिए क्योंकि आप भी उसी विराट विश्व का छोटा सा अंश है।
दैनिक जीवन में वाणी में मधुरता का हृदय से प्रभु के निकट रहने का अभ्यास, सुबह जल्दी उठकर प्रात काल की सैर पर जाना, पेड़-पौधों वृक्षों के पास कुछ समय बिताना, अपने परिवार के साथ कुछ समय बिताना, इस प्रकार आपको अपने स्वभाव के जो भी अनुकूल लगते हैं उन्हें अपना कर देखिए।
आपके जीवन में एक चमत्कारिक परिवर्तन आने लगेगा शुरुआत में थोड़ा सा कठिन लग सकता है, पर आप थोड़ी दृढ़तापूर्वक इन्हे अपना कर देखिए और आंतरिक परिवर्तन को महसूस करें।
उस परमपिता ने हम सभी को समय एक सही प्रदान किया है, केवल नजरिया बदलो नजारे बदल जाएंगे, सकारात्मक रहे, व्यस्त रहें, स्वस्थ रहें, थोड़ी आंतरिक मौज में रहने का अभ्यास करें।
विशेष = धीरे धीरे ही सही जीवन जीने के कुछ सूत्र अवश्य तैयार करें, इन सूत्रों में आर्थिक, सामाजिक, वैचारिक, व्यवसायिक स्वास्थ्य, परिवार आदि सभी से जुड़े सूत्रों की माला बनाते जाए, आपको जीवन एक सही दिशा में जैसे ही चलने लगेगा आप स्वयं को ऊर्जावान महसूस कर पाएंगे।
आपका अपना,
सुनील शर्मा।
सादर नमन।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो, ईश्वर सभी का कल्याण करें इसी सुंदर भाव के साथ अंतर्यात्रा भाग 8 में आज चर्चा का विषय है विचार, जो विचार हमारे मन मस्तिष्क में सबसे अधिक बार दोहराया जाता है, वह अंततः कर्म रूप में सामने आ जाता है। विचारों का चयन सावधानीपूर्वक करें क्योंकि आप अपने अंतर्मन में जिन विचारों के बीच डालेंगे वह देर सवेरे प्रस्फुटित अवश्य होगे।
प्रथम विचार हमारे मन में अनगिनत आते ही रहते हैं, उनमें से कोई ऐसे तीन या चार विचार जो आपको अपनी जीवन चर्या के अनुकूल जान पड़ते हैं, उन्हें अपनाएं जैसे सुबह जल्दी उठने का अभ्यास, उस समय आप के जो भी इष्ट हो उनके सुमिरन का अभ्यास, प्रार्थना केवल अपने लिए ही नहीं संपूर्ण विश्व के लिए कीजिए क्योंकि आप भी उसी विराट विश्व का छोटा सा अंश है।
दैनिक जीवन में वाणी में मधुरता का हृदय से प्रभु के निकट रहने का अभ्यास, सुबह जल्दी उठकर प्रात काल की सैर पर जाना, पेड़-पौधों वृक्षों के पास कुछ समय बिताना, अपने परिवार के साथ कुछ समय बिताना, इस प्रकार आपको अपने स्वभाव के जो भी अनुकूल लगते हैं उन्हें अपना कर देखिए।
आपके जीवन में एक चमत्कारिक परिवर्तन आने लगेगा शुरुआत में थोड़ा सा कठिन लग सकता है, पर आप थोड़ी दृढ़तापूर्वक इन्हे अपना कर देखिए और आंतरिक परिवर्तन को महसूस करें।
उस परमपिता ने हम सभी को समय एक सही प्रदान किया है, केवल नजरिया बदलो नजारे बदल जाएंगे, सकारात्मक रहे, व्यस्त रहें, स्वस्थ रहें, थोड़ी आंतरिक मौज में रहने का अभ्यास करें।
विशेष = धीरे धीरे ही सही जीवन जीने के कुछ सूत्र अवश्य तैयार करें, इन सूत्रों में आर्थिक, सामाजिक, वैचारिक, व्यवसायिक स्वास्थ्य, परिवार आदि सभी से जुड़े सूत्रों की माला बनाते जाए, आपको जीवन एक सही दिशा में जैसे ही चलने लगेगा आप स्वयं को ऊर्जावान महसूस कर पाएंगे।
आपका अपना,
सुनील शर्मा।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें