अंतर्यात्रा ( भाग 9 )

प्रिय पाठकगण,
सादर नमन, 

आपका दिन शुभ व मंगलमय हो,  ईश्वर आप सभी को समृद्धि प्रदान करें। इन्हीं शुभ भावो के साथ अंतर्यात्रा भाग 9 प्रस्तुत कर रहा हूं। आशा करता हूं कि मेरी अंतर्यात्रा कि यह श्रृंखला आपको अवश्य पसंद आ रही होगी।

अंतर्यात्रा में आज मेरी चर्चा का विषय है " युवा मानस व उनके सपने ", आज के युवा दिग्भ्रमित नहीं है बल्कि वह और अधिक आक्रामक व गति से आगे बढ़ाना चाहते हैं,  इसके लिए वह कड़ी से कड़ी मेहनत कर अपना मुकाम पाना चाहते हैं। आज के प्रतिस्पर्धा वाले माहौल में यह अनिवार्य भी है।

युवा मानस अपने लक्ष्य को लेकर अधिक सावधान व सजक हैं,  जरूरत है उन्हें तराशते रहने की। हर युवा मन की अपनी महत्वकांक्षाएं व सपने होते हैं,  उनकी प्रतिभा को पहचान कर उसे सही दिशा प्रदान करना भी हम लोगों के कर्तव्यों में से एक है।

निरंतरता व दृढ़ता यह दो मूल्य हमें भावी पीढ़ी को देना होंगे,  उन्हें बताना होगा कि जो भी लक्ष्य उन्होंने बनाया है उसमें उन्हें निरंतर प्रयास जारी रखने होंगे,  तब ही वह अपनी मंजिल के नजदीक हो सकते हैं। केवल कोरी कल्पना से ही मंजिल तक पहुंचना संभव नहीं,  इस दिशा में आपका संपूर्ण प्रयास भी आवश्यक है।

हम और आप सभी से मिलकर ही इस संपूर्ण समाज का निर्माण होता है,  यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि युवा अपने भीतर के उत्साह को खत्म ना होने दें व निरंतर उर्जावान रहकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें। आशा है आप सभी इस बात से सहमत होंगे कि आज का युवा महत्वकांक्षी है परंतु निरंतरता व सदा उत्साह हमें उनमे बनाए रखना होगा।

विशेष = अपने प्रयासों में संपूर्ण उर्जावान रह कर ही अपने लक्ष्य को पाया जा सकता है। निरंतरता ही सफलता की कुंजी है,  यह बात हमें युवा मानस को प्रदान करना होगी।

                                                                                                                                                            आपका अपना, 
                                                                                                                                                             सुनील शर्मा।

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