प्रिय पाठक गण,
सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
आशा है आप सभी को मेरी इस यात्रा का
आनंद आ रहा होगा, समसामयिक व सामाजिक मेरी कलम निरंतर चल रही है,
जो भी सत्य है, उसे उसी रूप में प्रस्तुतकरने का मेरा प्रयास होता है। किसी प्रकार का समझौता किये, जो आंतरिक रूप से महसूस कर पाता हूं, वही कहना एक कलमकार का मुख्य कर्तव्य है।
स्थानीय स्तर पर जब नेतृत्व करना होता है, तब सबसे अधिक जो समस्या एक जन नेता के सामने उपस्थित होती है। वह, जनता की अत्यधिक अपेक्षाएं, इसका मेरे विचार से
सबसे बेहतर तरीका तो यही है, की संवाद के लिये अलग-अलग क्षेत्र में कार्यकर्ताओं को
नियुक्त किया जाये, जो संवाद करने में सक्षम हो, क्योंकि संवाद से ही हम सर्वप्रथम किसी व्यक्ति से रूबरू होते हैं, समाज में सभी प्रकार के लोगों से मिलना होता है, कम समय में हम किस प्रकार सभी से बेहतर संवाद करें, समाज में हम किस प्रकार कार्य कर सकते हैं? लोगों
की मूलभूत समस्याएं क्या है? उन पर किस प्रकार हम विचार कर सकते हैं?
एक लेखक के बतौर मैंने यह पाया है, जनता और नेतृत्व के बीच में सबसे बड़ी जो समस्या है, वह है संवाद की। उसके बाद जब भी कोई सामान्य कार्य कर्ता गण चाहे वह किसी भी दल के हो, उनका सीधा सामना जनता से होता है, और अगर समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाता है, तो सबसे प्रखर विरोध सर्वप्रथम कार्यकर्ता को ही झेलना होता है, सबसे तीखी प्रतिक्रिया जनता की होती है, उनकी प्रतिक्रिया इतनी तीखी क्यों है?
अगर वह सही है, तो संतुलित संवाद के साथ उसे समझना चाहिये, एक टीम संयोजन इसज्ञप्रकार होना चाहिये, जहां पर हम खुले मन से चर्चा कर सके, जो भी कार्य हम कर रहे हैं, उसमें अगर खुला संवाद नहीं है, तो हम जनता के बीच जाकर किस प्रकार कार्य करेंगे।
जनता से जुड़ी समस्याएं जो भी है,
उसका निराकरण किस प्रकार से होगा, वह एक टीम संयोजन के रूप में ही हो सकता है,
समस्त कार्यकर्ताओं के पास संबंधित विभाग से जुड़ी जानकारी भी होना चाहिये, साथ ही जनता की और से कोई शिकायत अगर आती है, तो नेतृत्व को चाहिए कि उन शिकायतों की अवहेलना न करें, नेतृत्व कर्ता को सभी से
समान रूप से पेश आना चाहिये।
जब नेतृत्व करने के लिए हम समाज में उतरते हैं, तो सर्वप्रथम तो हमें सभी को सुनना ही होता है, उनसे संवाद करना पड़ता है।
संवाद करने पर हमें समझ में आता है, किस प्रकार से, कहां पर से क्या व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। एक बेहतर कार्य शैली को विकसित करना, जिसमें कम से कम लोग नाराज हो, सबको सुनना, खासतौर से जो भी
कार्यकर्ता गण है, वे आपसे क्या कह रहे हैं?
यह सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है, क्योंकि अधिकतम जनता के बीच वहीं रहते हैं, उन्हें पता होता है, समस्याएं क्या है?
एक नेतृत्व कर्ता को सभी कार्यकर्ताओं से सार्थक संवाद अवश्य करना चाहिये, सकारात्मक भाव से किस प्रकार से जनता के बीच कार्य करें, यह एक नेतृत्वकर्ता का गुण होना चाहिये।
पूर्ण ईमानदारी से जब कोई भी कार्य किया जाता है, तो उसके बेहतर परिणाम आते ही हैं।
जनता वह नेतृत्व इन दोनों के बीच संवाद निरंतर होना चाहिये, तभी जनता की जो भी समस्या है, वह समझी जा सकती है, उसका निदान किया जा सकता है।
जनता व नेतृत्व इन दोनों के बीच संवाद निरंतर होना चाहिये, तभी जनता की जो भी समस्या है, वह समझी जा सकती है, उसका निदान किया जा सकता है।
जनता की अपेक्षाएं निश्चित ही नेतृत्व से होती है, साथी जनता से विनम्र निवेदन यह है,
कोई भी जन नेता आपके लिये ही मैदान में है,
आप जो भी कार्य बताये, कृपया सकारात्मक चर्चा अवश्य करें, किस प्रकार की समस्या है?
उसका निदान किस प्रकार हो सकता है?
इन पहलुओं पर जन नेता व जनता दोनों को
ही धैर्य पूर्वक चर्चा करना चाहिये, अगर संवाद होगा तो समस्याओं का हल निकाला जा सकेगा।
आम जनता व जननेता के बीच जो संवाद हो, वह बिल्कुल स्पष्ट व कम शब्दों में होना चाहिये, जिस बात पर भी चर्चा करी जाये, उससे संबंधित ही बात हो, यह भी आवश्यक है।
स्थानीय नेतृत्व को मूलभूत समस्या पर पर्याप्त ध्यान देना चाहिये वह बगैर किसी भी
भेदभाव के सभी की बात सुनना चाहिये, संवाद ठीक तरह से नहीं होने पर गतिरोध उत्पन्न होता है, अत्यधिक प्रशंसा से जन नेता को दूर रहना चाहिये।
नेतृत्व करना भी एक सुंदर कला है, कहीं अंतर विरोधों के बीच किस प्रकार कार्य करें , यही कुशल नेतृत्व का कार्य है।
विशेष:- स्थानीय नेतृत्व करते समय वहां की मूलभूत समस्या जो है, वह सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है, उसके निराकरण हेतु
किस प्रकार कार्य किया जाये, यह धीरे-धीरे अनुभव से ही प्राप्त होता है।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत
जय हिंद
वंदेमातरम्।