आओ ज्योति जाग्रत करे

प्रवाह में आज का विचार


 सब के सुख में स्वयं का सुख निहित है हम  बात करते हैं युवा मानस की वह कई प्रकार के प्रश्नों से घिरा हुआ है  जिसमें 


  • सबसे प्रमुख प्रश्न उसके सामने आजीविका का माध्यम चुनने  का है
  • द्वितीय प्रश्न कडी प्रतियोगिता का



 उसे दिशा चाहिए कि वह इन सब का सामना किस प्रकार करें। निश्चिती कड़ी मेहनत ही इसका एक मात्र विकल्प है.


उस युवा वर्ग की ऊर्जा कई सारी दिशाओं में एक साथ काम कर रही है इसको इस प्रकार समझे हमारे पास ऊर्जा तो  सौ पैसे या एक रुपए के बराबर होती है अब इसका वितरण हम किस प्रकार करते हैं
विद्यार्थी को अपनी ऊर्जा अपने शिक्षा व ज्ञान प्राप्ति हेतु लगानी चाहिए जिस प्रकार सूर्य की किरणे मैग्नीफाइंग ग्लास से एक ही जगह पर एकत्र होती है तो कुछ समय बाद उसमें आग लग जाती है। 

उसी प्रकार प्रवाह की दिशा एक ही ओर होगी तो परिणामों की सफलता का प्रतिशत स्वयं ही बढ़ने लगेगा।

अपनी स्वरुचि को पहचाने को उसी दिशा में प्रयास करें ,अंतर्मन को टटोलें ,क्या आप को सबसे अधिक पसंद है याद रखिए आप भी अपने मन के सबसे निकट है उसे बेहतर संवाद स्थापित करें इस थी वह निश्चित ही आपको सही दिशा में अग्रसर करेगा।

बगैर किसी बाहरी दबाव के कुछ समय निकालिए स्वयं के साथ मात्र 10 मिनट रोज निकालिये। उन 10 मिनटों में स्वयं से स्वयं का वार्तालाप कीजिए इस क्रिया से आपका अवचेतन मन जो एक छुपी हुई शक्ति के रूप में आपके भीतर बैठा होता है वह जाग्रत होने लगेगा। 

अपने माता पिता को बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना ना भूले वह सदा ही आपके शुभचिंतक होते हैं
उनकी जिंदगी अनेक अनुभवों से भरपूर होती है जिसका लाभ वह आप को प्रदान करेंगे। 


आज  के प्रवाह में इतना ही शेष फिर  


आपका अपना

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