अंतर्वेदना

                              
 प्रिय पाठक वृंद,
आज सामाजिक परिवेश के अंतर्गत अंतर्वेदना पर कुछ चर्चा रहेगी।

पिछले चार-पांच दिनों से मध्य प्रदेश में किसान जो आंदोलन चला रहे हैं, उनसे भी व इस देश में शासन कर रहे राजनीतिक दल, दोनों ही पक्षों से विनम्र अपील, जो भी हो रहा है वह इस देश की संस्कृति से तो कतई मेल नहीं खाता है।
मुख्यमंत्री जी (श्री शिवराज जी) भी इस आंदोलन की गंभीरता का अहसास शायद नहीं कर पाए, उनकी मानवीय संवेदना से भरपूर दृष्टि ने प्रदेश को उन्नति के शिखर पर पहुंचाया, पर मेरी विनम्र अपील है स्थिती को राजनीतिक चश्मे
से ना देख कर मानवीय दृष्टिकोण से दोनों ही पक्ष देखें।

मंदसौर जिले में जो भी हुआ है, अंततः वह प्रशासनिक चूक ही कही जाएगी।
मुख्यमंत्री जी से निवेदन स्वविवेक व अंतरात्मा से निर्णय ले, आपकी स्वयं की एक छवि है। अपनी पार्टी के राजनीतिक दबाव से भी मुक्त होकर निर्णय करें।
इसी आशा के साथ कि यह समय जो इस स्थिति तक पहुँचा कही अति प्रचार इसकी वजह तो नहीं, अगर सरकार सही कार्य कर रही है तो वह तो वैसे ही सबकी नजर में आ जाएगा।
प्रदेश के मुखिया के नाते आप से उम्मीद है कि इस सारे घटना क्रम को आप मानवीय दृष्टिकोण से देखें व पूर्व में भी आपने कई मौकों पर जिस दृढ़ता का परिचय दिया है, वह इस बार भी आपके फैसले में नजर आए।
आपकी व्यक्तिगत उदारचित्त स्वभाव आप की विशेषता है। इस समय वही विशेषता आपको अपनी ही राजनीतिक पार्टी से जोकि लगता है अधिक प्रचार का शिकार हो गई है, उससे उबरने मैं आपकी मदद कर सकती है।

अंतर्वेदना = भारतीय संस्कृति की मूल अवधारणा, "सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया" की रही है। सभी पक्षों से विनम्र अपील समाधान की ओर अग्रसर हो यही इस राष्ट्र व मानवता के हित में है


आपका अपना,
सुनील शर्मा।

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