हमारा मालवांचल

प्रिय मित्रों व पाठकवृंद,

आपको आज मैं अपने मालवा की सैर कराने जा रहा हूं,
आइए आप भी भाव से जुड़िए।

मां अहिल्या की पावन नगरी इंदौर आज भी इस पुण्य धरा में कई यशस्वी, मनस्वी व्यक्तित्व बड़े ही प्रेरकरूप में समाज को दिशा प्रदान कर रहे हैं।
मालवा की जो खास बात इसे सबसे अलग बनाती है, वह है आज भी मालवा के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में आत्मीयता का वह गहरा प्रवाह जो आपको बहता नजर आएगा। जो इस मालवा का, यहां की माटी का एक परिचय आपसे कराता है।
मालव माटी में जो भी जन्मे, वे इस पुण्य धरा का गान गाएंगे।

महाकाल की कृपा यह क्षेत्र है उज्जयिनी, जो कि वर्तमान में उज्जैन है, इसके परिचय की कहानी कहती है, यहां पर "कुंभ मेला" जो विगत दिनों अपनी भव्यता के साथ पूर्ण हुआ। इसके दिव्य संस्कृति की अनूठी धारा का परिचय कराती है।

इस मालव क्षेत्र में महाकाल मंदिर (उज्जैन शहर) संपूर्ण विश्व का ज्योतिषीय व आध्यात्मिक उत्थान का केंद्र है। खगोलीय विज्ञान के अनुसार भी यह संसार का मध्य क्षेत्र है। यहां महाकालेश्वर की भस्म आरती मानो हमें संदेश देती है कि जीवन अंतिम सत्य क्या है इस सत्य से हमारा परिचय कराती है। यह जीवन अंत में उस परम में विलीन हो जाएगा क्योंकि किसी भी प्राणी का अंत आता ही है। पर मानो महाकाल की भस्म आरती अपने द्वारा यह संदेश देती है कि जब जीवन का अंतिम सत्य हमें मालूम है, तो इस जीवन को हम क्यों ना इस प्रकार से दिए कि यह जीवन केवल हमारे लिए ही न होकर समाज के लिए एक मिसाल का रूप साबित हो। जीवन धारा के प्रवाह को हम अपने व्यक्तित्व से एक सुंदर दिशा प्रदान करें।

संस्कृति की प्राचीन धारा वह वर्तमान पीढ़ी का उसके प्रति मोह भंग होना, कहीं न कहीं मन को झकझोरता है, पर फिर उस महाकाल के श्री चरणों की अनोखी धारा का अनुभव करते ही एक ऊर्जा का अनुभव होता है। स्वयं से शुरू होते हुए क्रमशः परिवार, गली, मोहल्ले, नगर, प्रांत, प्रदेश, देश व फिर विश्व। संपूर्ण विश्व का मंगल हो यही भाव व कामना इस मालवा के अंचल से, मां सरस्वती की कृपा से आप सभी के लिए करता हूं।

आज का इंदौर शहर मालवा का एक प्रमुख शहर है। यहां की धर्मप्राण जनता उसके मूल स्वरुप को बनाए रखती है। आधुनिकता की धारा के बावजूद शायद इस मालवा की माटी की महिमा ही है जो अपने चुंबकीय आकर्षण में सभी    
सभी को बांध देती है।
यहां के ग्रामीण परिवेश में आज भी एक सहजता, सरलता व सभ्यता के दर्शन होते हैं। जोकि इस पुण्य धरा को अलग स्वरुप प्रदान करते हैं।                     
वर्तमान में इंदौर से हमारी सांसद प्रतिनिधित्व कर रही है व लोकसभा अध्यक्ष है। वर्तमान के कई नए जुझारू नेता भी इसे अपने जुझारूपन से एक नई दिशा प्रदान कर रहे हैं। श्री सुदर्शन जी गुप्ता, उषा ठाकुर, हमारे राऊ विधानसभा से विधायक जीतू जी पटवारी इस मालव माटी की महिमा का परिचय देने के लिए काफी है।
कई समाजसेवी भी हैं जो अपना कार्य बिना किसी स्वार्थ के करते ही जा रहे हैं।

हमारा मालवा क्षेत्र मूलतः भाव धरा वाला है, भाव प्रधान संस्कृति यहां की सबसे अनूठी ताकत है। मालवी बोली यहां की मुख्य विशेषता है। आज भी ग्रामीण क्षेत्र में आप जाएंगे तो एक आत्मीय एहसास को पाएंगे , और कैसा हो, मजे में तो हो, कई चल रियो है जैसे शब्द एक अपनत्व भरी बोली व यहां की मिठास का अनुभव कराते हैं। दाल बाटी, दाल बाफले यहां की मालवी संस्कृति के प्रमुख व्यंजन में से एक है। जो भोजन कराने वालों को व करने वालों को यहां की परंपरा से आपका परिचय कराते हैं और अब तो हमारे इंदौर शहर का नमकीन व मिठाई भी अपने स्वाद के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बना चुका है।

शिक्षा के क्षेत्र में, राजनीति के क्षेत्र में, मानवीय मूल्य को सहेजने में यहां के निवासियों का अनूठा व अमूल्य योगदान रहा है। वह वर्तमान में उसी परंपरा को इस क्षेत्र के राजनेता व जागरुक नागरिक आगे बढ़ा रहे हैं। इस मालव माटी का आपसे परिचय कराते हैं।
प्रकृति ने मानव अपनी अप्रतिम छटा से इस क्षेत्र को संवारा है। बहुत ही प्राचीन देवगुराडिया का मंदिर भी इसी मालवा क्षेत्र में है। इंदौर शहर इस मालवांचल का प्रमुख शहर है। जो की व्यवसायिक धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक सभी सरोकारों को जीता एक जीवंत स्पंदन वाला शहर है।
इसी इंदौर शहर के "राजेंद्र नगर" कॉलोनी में मेरा निवास है। कई वर्षों के मंथन के उपरांत लेखन विधा को माध्यम बनाकर आप सभी लोगों से जुड़ने की एक आत्मीय कोशिश की है। जैसे जैसे आप मुझे पड़ेंगे, मैं आपको हमारी भारतीय संस्कृति के विभिन्न प्रवाह से गुजरता हुआ आप से निरंतर संवाद करते हुए व एक बेहतर विश्व मंच या संवाद मंच को आप सभी के सहयोग से एक रुप देना चाहता हूं।

इस प्रवाह में आप समय-समय पर मेरे विचारों से अवगत होते रहेंगे। आप सभी का स्नेह व प्यार ही मेरे लेखन की सबसे बड़ी ताकत सिद्ध होगा।

आपका अपना,

 सुनील शर्मा।

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