जागरण




प्रिय  पाठक वृंद,
                         सादर वंदन आपका असीम प्रेम ही इस प्रवाह की धारा है, राम कृपा से जो महसूस कर पाता हूं, वही आप लोगों के समक्ष विभिन्न भावों के माध्यम से रख रहा हूं |  
                           
                           आज  संवाद करेंगे जागरण पर, किसका जागरण, सबसे पहले स्वयं का जागरण, जो व्यक्ति स्व चेतना का जागरण कर लेता है उसे फिर अन्य केंद्र की आवश्यकता ही नहीं होती है|  अपने आप में   जागिए, अपनी स्वयं की परिस्थितियों का  समझ बूझ से आकलन करिए परिस्थिति को  समझ कर फिर दृढ़ता से जो भी हल आप ने निकाला   है उस पर डटे रहें, आपको अवश्य ही सफलता प्राप्त होगी|
                          
                             हमारा जीवन हमारे विचार व आचरण से ही बदलता है हम विचार अच्छा करें, कर्म विपरीत करें और फिर अच्छे फल की कामना करें यह तो संभव किसी भी काल में नहीं है|
                          
                              सजग रहे हैं स्वतंत्र सोच से कार्य करें स्वयं सजग हो फिर परिवार को सजग व संगठित करें फिर क्रमशः गली मोहल्ला ग्राम जिला देश को  सजग व संगठित करें
                  आप सभी का जीवन मंगलमय हो शुभ हो शुभम करोति कल्याणम जीवन में शुभ कार्य करते रहिए निश्चित ही कल्याण होगा शुभ कार्य अपनी सामर्थ्य अनुसार अवश्य करें और आपका शुभ संकल्प आपको सामर्थ्यवान व तेजवान बनाएगा जय श्री राम उनके  त्यागमय जीवन से प्रेरणा ले सकी यही विनती|


जागरण :→   स्वयं को शिवत्व  व  शुभत्व  में जगाना स्वयं की  प्राण प्रतिष्ठा करना है |

आपका अपना

  सुनील शर्मा

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