अंतर्यात्रा भाग 16

प्रिय पाठक वृंद 
सादर नमन

आप सभी का दिन शुभ व मंगलमय हो इन्हीं शब्दों के साथ अंतर्यात्रा की कड़ी हम आगे बढ़ाते हैं

आज हम बात करेंगे शुद्ध विचार शक्ति का बल हमारे भाव नित्य शुद्ध हो इसलिए दैनिक प्रार्थना को जीवन का एक अंग बनाइए आप जिस भी इष्ट  को मानते हैं, उस से संपूर्ण सृष्टि की समृद्धि हेतु प्रार्थना करिए क्योंकि आप स्वयं उस विराट सृष्टि का एक छोटा सा हिस्सा ही तो है ।

प्रार्थना में अपरिमित शक्ति होती है ,स्वयं के अलावा सभी के मंगल हेतु प्रार्थना अवश्य करें हृदय से  सभी को धन्यवाद दे ,सभी का सहयोग प्रदान करने के लिए मन ही मन मानसिक धन्यवाद प्रदान करें।

आप देखेंगे कि इससे आपकी मानसिक ऊर्जा का संचार सुधरने लगता है और जब आप सभी के लिए प्रार्थना व कर्म कर रहे होते हैं सृष्टि की दिव्य शक्ति स्वयं आपकी सहायक होती है ।वह आपके अच्छे विचारों वह संकल्प का बल बन जाती है वह आप के अवरोधों को नष्ट कर देती है ।

प्रत्येक जीव अपनी अपनी मेहनत जिजीविषा से परिश्रम करते हुए अपना जीवन यापन करता है ।मूक प्राणियों की सहायता अवश्य करें ,बेबस और लाचार लोगों के लिए मन में दया और करुणा स्नेह का भाव रखें आपके स्वभाव से आप अपनों का ही नहीं वरन औरों का भी दिल जीतने में समर्थ होते हैं ,औरों का सहयोग करें यही जीवन की सच्ची जीवनी शक्ति है सदा सकारात्मक रहे ।  समय सदा ही परिवर्तनशील है अपनी उर्जा को सही दिशा में निरंतर बनाए रखें वह परमपिता आपके साथ सदैव खड़ा है।

उसे अपना सखा समझें अपनी कमजोरी अपने सपने में अदृश्य शक्ति से कहें वह शक्ति आप के लक्ष्यों में आपकी सहायता अवश्य करेंगी ,सर्वप्रथम हम जीवन में सदा सकारात्मक बर्ताव करें यह आपकी सबसे बड़ी आन्तरिक शक्ति है जिससे आप जितना चाहे उतना अपने प्रयत्नों से बढ़ा सकते हैं ,आपके विचार ही आप को ऊर्जावान व आभावान बनाते हैं ।

आप देदीप्यमान होते हैं एक शक्तिपुंज आपके भीतर निर्मित होने लगता है वह आन्तरिक चेतना आप से स्वयं ही कई कार्य संपादित करवा लेती है, निरंतर शुभ भाव आपके भीतर उत्साह का संचार करते हैं वह आपके उत्साह को बनाए रखते हैं आइए सकारात्मक चिंतन करें वह औरों को भी इसके लिए प्रेरित करें ।

जीवन में संघर्ष से घबराए ना वह तो श्री राम श्री कृष्ण जी के सामने भी आए थे परंतु उन्होंने उन सभी को सहज भाव से स्वीकार कर लिया सुख-दुख यह सब हमारे मन की उपज है हम इन दोनों में ही इनसे भी लगा कर अपने कर्म को संपूर्ण निष्ठा से करें जीवन में सफलता का यही मूल मंत्र है ।

विशेष :-संघर्ष जीवन को और अधिक मूल्यवान बनाते हैं और संघर्ष के कारण ही आप आगे बढ़ सकते हैं यह सत्य है जितना संघर्ष करते हैं उसके इतने अधिक सुपरिणाम स्वामी आप के पक्ष में खड़े होते हैं अपनी दिशा सदैव अपने लक्ष्य की ओर रखें

आपका अपना
सुनील शर्मा

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