अंतर्यात्रा भाग 15

प्रिय पाठक वृंद,
सादर नमन।

आप सभी का दिन शुभ एवं मंगलमय हो इंहीं शुभ भाव के साथ अंतर्यात्रा के पड़ाव में आज हम बात करेंगे हमारे मानसिक बल कि, हमारे अंदर परमपिता परमेश्वर ने कई प्रकार की शक्तियां प्रदान की है उनमें से एक है मानसिक बल

शारीरिक बल से कई हजार गुना काम करता है आपका मानसिक बल जैसे आप कोई कार्य कर रहे हैं उसमें आप को 3 माह का समय लग रहा है उसमें अगर आप अपने मानसिक बिरयानी मनोबल से काम करेंगे तो हो सकता है आप उस कार्य को और जल्दी कर ले मानसिक उत्साह न होने पर कोई भी कार्य आप करें आप की गति धीमी होती है इसका उदाहरण आप खेल के क्षेत्र में लिख सकते हैं कैसे एक खिलाड़ी अपनी संपूर्ण मानसिक बल से खेलता है तो वह अन्य खिलाड़ी साथियों से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब होता है आपके भीतर का मानसिक बल आपको अपने कार्यक्षेत्र में एक विशिष्टता प्रदान करता है जो भी व्यक्ति पूर्ण मनोयोगपूर्वक अपने कार्य को करते हैं वह आश्चर्यजनक रूप से अन्य लोगों से अच्छे परिणाम पाते हैं आप अपनी मानसिक शक्तियों को जितना प्रेरित करते हैं वह उतनी ही अधिक शक्तिशाली हो कर आपको अपने लक्ष्य को पाने में मदद करती शारीरिक बल से मानसिक बल निश्चित ही कहीं अधिक श्रेष्ठ है अपनी श्रेष्ठता को आप जितना बढ़ाते जाएंगे उतनी अधिक क्षमता से कार्य को कर पाएंगे आप जो भी करना चाहते हैं वह पहले तय करने फिर पूर्ण मनोयोग से उस में जुट जाएं निश्चित ही आप अपनी मंजिल के करीब होंगे यह भी याद रखें उस व्यक्ति से सभी जुड़ना चाहेंगे दुरुस्त आए व्यक्ति को सहयोग कब मिलेगा उसका ही व्यक्ति अपनी मानसिकता बन के कारणों से कहीं अधिक अच्छा कार्य करने में कामयाब होता है तात्कालिक असफलताओं से घबराकर अर्जुन जैसे अपने लक्ष्य पर नजर रखने वाले ही कामयाब होते हैं मन में अपनी कामयाबी का उत्साह सदैव बनाए रखें

विशेष = अपने मानसिक बल को हमेशा सकारात्मक उर्जा से जुड़े सकारात्मक विचार मन में रखे शुभ संकल्पों को जीवन में स्थान दे आपको सफलता अवश्य प्राप्त होगी।

आपका अपना,
सुनील शर्मा।

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