निज गुण व सामाजिकता

प्रिय पाठक गण ,
सादर वंदन,
आप सभी को मेरा मंगल प्रणाम,
आइए आज हम प्रवाह में चर्चा करेंगे निर्गुण अर्थात हर एक व्यक्ति में कोई एक विशेष आवश्यकता है, जो अन्य में नहीं होता है।हमें हमारा स्वयं का अवलोकन करते हुए अपने साधारण गुणों विशिष्ट गुणों को अलग करके देखना होगा, क्योंकि साधारण गुणों के द्वारा आप साधारण योग्यता ही अर्जित कर सकते हैं, पर विशिष्ट गुण द्वारा आप विशेष योग्यता अर्जित कर सकते हैं।
          हमारा स्वयं का उत्थान हम केवल तभी कर सकते हैं, जब हम प्रयास करके हमारे स्वयं के गुणों को जाने, कारण स्पष्ट है जब हमें हमारे किसी विशिष्ट गुणों का ज्ञान हो जाएगा तब हम विशिष्ट गुण के कारण अपने इस समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान को प्राप्त कर सकते हैं वह कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों को पा सकते हैं।
प्रकृति का यह चमत्कार ही है कि उसने हमें कई असाधारण उपलब्धियों से नवाजा है,लेकिन हम स्वयं ही उस दिशा में कार्य नहीं करते हैं तो फिर ईश्वर या भगवान किस प्रकार आपकी सहायता करेंगे।
       उन्होंने आपको विशिष्ट गुणों के द्वारा उपकृत तो कर दिया है,अब आपकी बारी है कैसे आप स्वयं के वह समाज के हित संवर्धन में उन गुणों का प्रयोग करते हैं।
         हमें अपनी निजी उन्नति के साथ ही सामाजिक उत्थान के लिए भी अपना योगदान अवश्य करना चाहिए,क्योंकि हम भी तो इस सामाजिक व्यवस्था का एक अंग है।
इस प्रकार हम अपने निजी गुणों को पहचान कर फिर स्वयं के उत्थान व सामाजिक उत्थान के लिए भी कार्य करें यह आपको एक आंतरिक शांति भी प्रदान करेगा
विशेष:-अपने निजी विशिष्ट गुणों की पहचान होने पर हम उस गुणों के द्वारा स्वयं का हित व समाज का हित संवर्धन कर सकते हैं ।
                      इति शुभम भवतु
आपका अपना
सुनील शर्मा

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