हम ही हमारे साथी

प्रिय पाठक गण,
सादर वंदन।
आप सभी को मेरा मंगल प्रणाम,
        आज संवाद करेंगे हम ही हमारे साथी, प्रिय पाठक गण जैसा कि ऊपर शीर्षक दिया है हम ही हमारे साथी, इसका अर्थ तो यही है कि हम हमारे साथी हैं, जो भी निर्णय हम लेते हैं वे निर्णय जितने स्पष्ट व सही होंगे, उतना ही हमारा जीवन निर्माण होता जाएगा।
जीवन का दर्शन यानी उसे जीना,परमपिता परमात्मा ने हम सभी को एक से समान साधन प्रदान किए हैंपरंतु हम सही तरीके से उन्हें न समझने के कारण ही कई प्रकार की गलत रीति नीति का निर्माण अपने जीवन में कर लेते हैं, और वही  हमारी पराजय का कारण बन जाता है।
सही तरीके से जीवन को बाहय व आंतरिक रूप से से समृद्ध अगर हमें बनाना है,तो हमें भौतिकता व जीवन मूल्यों का उचित समावेश हमारे जीवन में अनिवार्यत: करना ही होगा, अन्यथा जीवन का परिवर्तन ना हो सकेगा।
इस प्रकार हम हमारे जीवन निर्माण में स्वयं ही सहयोगी है। इसके मूल सूत्र हमारे प्राचीन ग्रंथों में प्राप्त होंगे,हमें आधुनिकता और भारतीय संस्कृति के मूल्यों को आपस में इस प्रकार संयोजित करना होगा, जो समाज के नवनिर्माण में सहयोग हो सके।
परिस्थितियों का सही अवलोकन हमें समग्र दृष्टि प्रदान कर सकता है, आज हमें समाज में हर और एक नैतिक पतन का दौर  दिखता है, इसे हमें अपने प्रयासों द्वारा परिवर्तित करना होगा, यही हमारे व सामाजिकता के हित में होगा।
हम ही हमारे साथी हैं, यह पंक्ति तभी चरितार्थ होगी,जब हम स्वयं सही पुरुषार्थ करें व अन्य को भी इसकी प्रेरणा प्रदान करें, तभी सही अर्थों में सामाजिक परिवर्तन सही दिशा में हो सकेगा।
विशेष:-हम ही हमारे साथी, हमें नैतिक मूल्य बनाने होंगे कितना हमारा ,कितना समाज का,जिस समाज में हम रहते हैं ,उस समाज से हम प्राप्त करते हैं, उसे लौटाना भी हमारा कर्तव्य है।
इति शुभम भवतु
 आपका अपना
सुनील शर्मा

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