त्रिवेणी

प्रिय पाठक गण,
सादर नमन,
आप सभी को मेरा मंगल प्रणाम,
आज संवाद करेंगे त्रिवेणी पर, त्रिवेणी क्या है? इसका आध्यात्मिक अर्थ क्या  है, कुछ अपनी बुद्धि अनुसार आप सभी से कहता हूं।
त्रिवेणी का संगम हमने कई बार सुना है, तीन नदियों का संगम वहां त्रिवेणी कहलाती है।
आइए विवेचन करते हैं कुछ हटकर, हमारा स्वयं का जीवन भी एक त्रिवेणी है। इसके तीन सुंदर सोपान या घाट है।
प्रथम, स्वयं का कल्याण या सुधार।
द्वितीय परिवार का कल्याण व सुधार।
तृतीय समाज का कल्याण व सुधार।
क्रमशः स्वयं में सुधार करें, बड़ों का सम्मान करें बराबरी वालों से मित्रता पूर्ण व्यवहार करें व बच्चों को को स्नेह दे।
यह हमारे व्यवहार की त्रिवेणी है।
इस प्रकार हम पाते हैं कि इस शब्द के कई गहन अर्थ है।
ज्ञान, वैराग्य, भक्ति
आचार, विचार, व्यवहार
ब्रह्मा, विष्णु, महेश
सत्यम, शिवम, सुंदरम
सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश
ज्ञान, धन, विवेक
इस प्रकार अवलोकन करने पर हमें कई स्वरूप प्राप्त होते हैं।
सरस्वती ज्ञान की देवी है, लक्ष्मी जी धन की देवी है, गणेश जी विघ्नहर्ता व विवेक के प्रदाता है । यह भी एक त्रिवेणी का रूप है।
ज्ञान द्वारा हमें धन अर्जित करना है, बुद्धि पूर्वक उसका उपयोग करना है, इन  प्रतीकों में हमें गहन संदेश दिए गए हैं, जिसे सही अर्थों में हृदयंगम करने की आवश्यकता है।
आशा करता हूं आप सभी सुधि पाठकों को इस संवाद में, यही आपके हृदय को छू ले, इसी प्रकार हम इस प्रवाह में चलते रहे।
आप सभी का स्नेह आशीर्वाद सदैव बना रहे।
विशेष:-इस प्रकार त्रिवेणी के विभिन्न रूपों की आपने व्याख्या समझी, प्रभु कृपा से जो प्रेरणा प्राप्त होती है, वह मेरे इन लेखों में आ जाती है।
आप सभी अपनी प्रतिक्रिया मेरे ब्लॉग पर अवश्य दें, इससे मुझे और भी सुंदर लेख लिखने की प्रेरणा प्राप्त होगी।
इति शुभम भवतु
आपका अपना
सुनील शर्मा

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