प्रतिकूल परिस्थितियों में शांत कैसे रहें

प्रिय पाठक गण,
सादर वंदन ,
आप सभी को मंगल प्रणम,
काफी दिनों के बाद फिर एक लेख लिख रहा हूं, जो हमेशा हमारे मन में एक प्रश्न के रूप में सदैव रहता है।
प्रतिकूल परिस्थितियों में हम शांत कैसे रहें, हम में से प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में यह परिस्थिति तो अवश्य आती है, जब हमें अपने जीवन में सब कुछ प्रतिकूल जान पड़ता है।
हमारे अपने भी विपरीत समय में हमारे विरुद्ध खड़े नजर आते हैं, धन की दृष्टि से भी जब समय पर हमे सहायता चाहिए, वह उपलब्ध नहीं होती, मानसिक संबल देने वाला कोई नजर नहीं आता, सभी बातें हमें प्रतिकूलतम प्रतीत होती हैं, तब इन परिस्थितियों में हमारा अशांत होना अस्वाभाविक भी नहीं है, परंतु इसी समय हमारे धैर्य की परीक्षा होती है।
जब हम धैर्य पूर्वक इन सभी परिस्थितियों में अपने आप को शांत चित्त रख पाते हैं, तब हम निश्चित ही उन परिस्थितियों से बाहर निकलने की सामर्थ्य भी रखते हैं। हम ध्यान रखेंगे तो अपने आप में सही दिशा बोध का ज्ञान होगा, सही दिशा बोध का ज्ञान होने पर व चिंतन करने पर हम स्वमेव परिस्थितियों का  सही आकलन कर उन परिस्थितियों से सबक सीख सकते हैं, उनका सामना कर सकते हैं।
यह समय बड़ा ही नाजुक समय है, कोरोना महामारी का प्रकोप चरम पर है। फिर भी यही मानवीय जीवन है, हम रुक नहीं सकते, अंग्रेजी में एक कहावत भी है,"शो मस्ट गो ऑन" , यानी कि जीवन चलता रहे, उसी लयबद्धता से  चलता रहे, जैसे जीवन में कुछ विपरीत घटा ही ना हो।
             जीवन में हमें कई सबक मिलते हैं, कई उतार-चढ़ाव, आशा निराशा के क्षणों से हम रूबरू होते हैं, पर हार नहीं मानते। प्रतिकूल से भी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने पर भी हम अगर शांत चित्त रह कर उनका सामना कर पा रहे हैं तो यह उस ईश्वर की परम अनुकंपा ही है।
              यह सब उस परम शक्ति के अधीन है, प्रतिकूल परिस्थितियां हमें जीवन संघर्ष सिखाती है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में शांत रहना सीख जाता है, वह अपने जीवन संग्राम में विजेता बनता है।
              सवाल यह है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में हम कैसे शांत रहें, क्योंकि जैसे ही प्रतिकूल परिस्थितियों से किसी व्यक्ति का सामना होता है, सबसे पहले उसका मानसिक संतुलन बिगड़ता है, मानसिक संतुलन को स्थिर रखना सीखना चाहिए, प्रतिकूल परिस्थितियों से घबराए नहीं, वरन धैर्यपूर्वक उनका सामना करें, शांत चित्त रहने का प्रयास करें, अनुकूल परिस्थिति नहीं रही तो प्रतिकूल परिस्थिति भी सदैव नहीं रहेगी।
           जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियां तो हमारे जीवन निर्माण के लिए ही आती है, प्रतिकूल परिस्थिति होने पर भी जो हार नहीं मानते, उन स्थितियों में संघर्ष का रास्ता नहीं छोड़ते, वही अपने जीवन में कामयाबी का द्वार भी अपने सतत संघर्ष से पा ही लेते हैं।
          जीवन अनेक प्रकार की समस्याओं से भरा हुआ है, इस जीवन में अनुकूल प्रतिकूल दोने ही परिस्थितियां अनिवार्य रूप से आती ही है, बस हम उनका सामना कैसे करते हैं ,यह महत्वपूर्ण है। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सहज बने रहे, समय अनुकूल हो या प्रतिकूल, बदलता ही है। फिर जहां दृढ़ संकल्प बल हो तो प्रतिकूल परिस्थितियां भी जीवन में हमारे आगे बढ़ने का मार्ग ही प्रशस्त करती है।
                प्रतिकूल परिस्थितियों में मौन का आश्रय ले, मौन रहने का अभ्यास करें आधा घंटा या 1 घंटा  समस्त क्रिया, प्रतिक्रियाओं से मुक्त होकर भीतर की ओर विचरण करें, तब यह आपका आत्मबल बढ़ाने में सहायक होगी।
विशेष:-प्रतिकूल परिस्थितियों में मौन रहे, धैर्य रखें, समय के बीतने की  धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करें, अपने मन मस्तिष्क को सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण रखें, समय अनुकूल हो या प्रतिकूल कोई भी समय सदा नहीं रहता, भीतर से खुश रहने का अभ्यास करें, प्रतिकूल परिस्थितियों को भी जीवन संघर्ष का अनिवार्य तत्व समझें, ईश्वर पर पूर्ण भरोसा रखें, आत्मबल बनाए रखें।
आपका अपना,
सुनील शर्मा
जय हिंद ,जय भारत।

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