सादर नमन, मुझे पूर्ण विश्वास है कि सामाजिक मूल्यों पर आधारित यह आलेख आपको अवश्य पसंद आ रहे होंगे, एक पत्रकार या नागरिक का क्या कर्तव्य हो, समाज के क्या मापदंड हो, जब समाज में विषमताएं पनपती है, तब यह दायित्व और अधिक हो जाता है, कि हम समझ में व्याप्त दोहरे मापदंडों का विरोध प्रखर स्वर में करें ।
अगर हम ऐसा नहीं कर पाते तो सामाजिक व्यवस्था को तार-तार होने में अधिक समय नहीं लगेगा।
जिस प्रकार से समाज में धारणा बन रही है की धनबल,
बाहुबल व वह संगठन की शक्ति से सब कुछ किया जा सकता है,
वह अगर समाज में मूल्यो की स्थापना की दिशा में हों , तब तक तो ठीक है, पर दिशाहीन हो जाने पर उन दोहरी सामाजिक मापदंडों के खिलाफ प्रखर मुखरता ही इन बातों को रोक सकती है।
सामाजिक ताने-बाने को जो भी व्यवहार क्षति पहुंचाता है,
वह व्यवहार अनुचित आचरण हीं है, चाहे वह किसी भी व्यक्ति के द्वारा ही क्यों ना किया गया हो।
यह देश का दुर्भाग्य है कि हम विचारों से अधिक व्यक्ति को
पूजने लगे, इस कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
अगर आप सभी को लगता है, समाज में जो दोहरा मापदंड आजकल चलन में है, वह ठीक नहीं है, जिसे हम आम भाषा "अपने वाला है" कह कर टाल देते हैं, यह प्रवृत्ति सामाजिक ताने-बाने को धीरे-धीरे भीतर से खोखला कर देती है।
समय पर ही अगर हम जहां भी दोहरा मापदंड दिख रहा है है, इसका विरोध करने का साहस कर सके तू मेरा यह लेख में समझता हूं, सामाजिक समरसता को ही बढ़ावा देने वाला सिद्ध
होगा।
विशेष:- सामाजिक मूल्यों का हनन संपूर्ण समाज की क्षति है, जहां पर भी दोहरा मापदंड दिखाई दे, कृपया व्यक्तिगत स्तर
पर निवेदन है, आप अपना स्वर अवश्य बुलंद करें।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत
जय हिंद।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें