सादर नमन,
यह लेख खास तौर पर मेरे युवा मित्रों को समर्पित है, हमें हमारे जीवन में तीन महत्वपूर्ण पड़ावों या सोपानों से गुजरना होता है।
वे तीन महत्वपूर्ण सोपान है, हमारा बचपन, युवावस्था,
वृद्धावस्था।
प्रथम चर्चा बचपन की, हम हमारे बाल्यकाल में विभिन्न प्रकार के वातावरण से गुजरते हैं, जिसमें हमारा स्वयं का परिवार,
हमारे आसपास का परिवेश व वातावरण, वह सकारात्मक है या
नकारात्मक, हमें भी उस समय ज्ञान नहीं होता, फिर भी हमारे घर का वातावरण, संस्कार, सामाजिक परिवेश इन सब से ही हमारा बाल्यकाल गुजरता है, अगर हमारे पारिवारिक संस्कार मजबूत है, तो निश्चित ही हम एक अच्छे व्यक्तित्व के रूप में रूपांतरित होते हैं, आपसी सहयोग इसमें सबसे महत्वपूर्ण है और यह संस्कार परिवार व समाज से ही प्राप्त होते हैं।
बचपन में कहीं सुनी गई बातें हमारे मानस मन पर प्रभाव
अवश्य डालती है, बचपन में परिवार से अगर हमें सच बोलने की शिक्षा प्रदान की गई है, तो एक अच्छा संस्कार हमारे भीतर डाला गया है, यह हम पर निर्भर करता है उसका किस प्रकार उपयोग करते हैं, हमारे आसपास का वातावरण हमारे व्यक्तित्व निर्धारण में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्धारण करता है, इसलिए अगर हमारा बचपन एक अच्छे पारिवारिक माहौल में बीता है, तो निश्चित ही एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण करता है।
बचपन में हमारे परिवार के अतिरिक्त जब हम शिक्षा प्राप्त करने जाते हैं, वहां पर भी विभिन्न विचारधाराओं से हमारा सामना होता है, कुछ हम मूल शिक्षा से प्राप्त करते हैं, कुछ अपने निजी अनुभवों से।
अब आता है हमारा द्वितीय पड़ाव , यह है हमारी युवावस्था, इस समय हम अनेक प्रकार के स्वप्न व विभिन्न आयामों से गुजर रहे होते हैं , इस समय हम में उत्साह बहुत होता है, कुछ कर गुजरने का, अपने स्वपनो पर काम करने का, कुछ तो हमारे भीतर मौलिक होता है, जो हमें बार-बार प्रेरणा देता है, और जो हमारी मौलिकता है, उसे अगर हमने सही तरीके से जान लिया
तो हमारा आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है, हमें सर्वप्रथम
अपनी अभिरुचियों को जानना चाहिये, हमारे अपने मूल व्यक्तित्व के सबसे नजदीक क्या है, अगर हम अपनी अभिरुचि को ही
अपने आय का साधन बना ले, तो हमारी उर्जा भी कभी क्षीण
नहीं होगी, उसका एकमात्र कारण यह है, हमने अपने व्यक्तित्व की स्व- ऊर्जा को जान लिया है। उम्र के इस पड़ाव पर हम में भरपूर ऊर्जा होती है, उसे समय सभी व्यक्ति अपनी अपनी बुद्धि के अनुसार हमें राय देते हैं, मगर हमारे जीवन का कोई अगर निश्चित ध्येय न हो, तो हमारा इतना महत्वपूर्ण समय यूं ही बेकार चला जायेगा, हमारे जीवन का द्वितीय पड़ाव सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव है, यह वह समय है जब हमें ऊर्जा तो भरपूर होती है, पर अनुभव की कमी होती है, इस उम्र में अनुभवी लोगों का मार्गदर्शन आवश्यक है।
आप अपने जीवन में कोई भी कार्य करें, वह आप जितनी समर्पण से करते हैं, उतने ही शानदार परिणाम आपके जीवन में प्राप्त होते हैं। जीवन में आप जो भी करें पूर्ण रुचि से करें, तो परिणाम भी उतने ही अच्छे प्राप्त होंगे।
कब आते हैं हम तीसरे पड़ाव पर, जीवन के इस मोड़ पर आते आते हमारे पास जीवन में कई अनुभव आ चुके होते हैं, अगर हम जीवन के अनुभव से सीख ले , तो हमारा स्वयं का जीवन हमें कई प्रकार की बातें सिखा देता है, अगर आप जीवन में धैर्य रखते हैं तो कई प्रकार की जो भी समस्याएं हमारे जीवन में आती है, हम उनका उच्च समाधान निकाल सकते है। हमें हमारी परिस्थितियों का सही आकलन अवश्य करना चाहिये, जब हम हमारी परिस्थितियों का सही अध्ययन कर लेंगे तो निश्चित ही हमारा चुनाव सही दिशा में होगा, अगर किसी भी क्षेत्र मैं हमारा अपना अनुभव नहीं है , तो उसे क्षेत्र के विषेषज्ञ की सलाह ले।
हमारे जीवन के अनुभव हमारा वह खजाना हैं, जो अमूल्य है, अपना कुछ समय वृद्ध जनों व अनुभवी लोगों के साथ अवश्य
बिताये।
खास तौर से जब आप अपने जीवन के द्वितीय पड़ाव से गुजर रहे हो, अनुभवी व्यक्तियों के संपर्क में अवश्य रहें। उनका अनुभव आपके लिए बहुत काम का सिद्ध हो सकता है ।
हमारे जीवन का तीसरा पड़ाव वृद्धावस्था होती है, उसे समय तक हम अनेक प्रकार के अनुभवों से गुजर चुके होते हैं, कहीं घटनाओं के साक्षी बन चुके होते हैं, पता अनुभव हमारी पूंजी हो चुका होता है, तो हमें जब भी समय मिले, अनुभवी लोगों से अवश्य मिले, उनके पास उनके जीवन का अनमोल खजाना
होता है, उनका अनुभव व उनकी नज़रें इतनी सिद्ध हस्त हो चुकी होती है, वह किसी व्यक्ति या घटनाक्रम को पहले से ही अनुमान लगाने में सक्षम होते हैं, वह उनके जीवन के अनुभवों की मुख्य पूंजी है, इसीलिए जब भी वृद्ध जनों से मिले, आदर पूर्वक मिले,
मैं अपने जीवन बेशकीमती अनुभवो के खजाने में से कुछ मोती आपको अवश्य देंगे।
वृद्धावस्था वह अवस्था है, जब आप अनेक अनुभवो से परिपक्व हो जाते हैं, इसलिए वृद्ध जनों से मिले ,उनका सम्मानकरे। उनके अनुभवों से लाभ ले।
हम सभी के जीवन के पहले व दूसरे पड़ाव को हम जितनी खूबसूरती से जियेगे, आपका तीसरा पड़ाव उतना ही शानदार होगा।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत
जय हिंद।
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