अंतर्यात्रा ( भाग 6 )

प्रिय पाठकगण, 
सादर नमन,
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो,  ईश्वर कृपा सदैव बनी रहे।

अंतर्यात्रा में आज चर्चा करेंगे " व्यक्तिगत गरिमा " विषय पर,  आज का समय जितना जल्दबाजी का होता जा रहा है,  उसमें व्यक्तिगत गरिमा या सम्मान जो हमें अपने आपसी सम्बन्धो में करना चाहिए,  उसकी गरिमा टूटने लगी है और यह एक सामाजिक क्षति है। जब हम पारस्परिक व्यवहार में सामने वाले की गरिमा व सम्मान को बनाए रखते हैं,  तब वह भी निश्चित ही आपका अपमान नहीं करेगा।

यह सामाजिक नियम लगता तो बड़ा ही छोटा सा है,  पर इसमें जीवन को जीने का एक सफल सूत्र हम मान सकते हैं। कल्पना करें आपके पास हीरे जवाहरात,  धन दौलत सब है पर साथ में अहंकार है। दूसरी और आपके पास यह चीजें तो है पर आपके पास सामाजिकता व वाणी की विनम्रता है तो वाणी की विनम्रता निश्चित ही आप को एक अलग गरिमामय उपस्थिति प्रदान करती है। 

कई बार व्यक्ति बहुत बुद्धिमान होते हैं पर अहंकार उन्हें आगे नहीं बढ़ने देता,  जो व्यक्ति अपने अहंकार को जीतने में समर्थ हो जाता है,  ईश्वर उसी व्यक्ति या व्यक्तित्व में अपने परम सत्ता के साथ विराजमान होते हैं। 

हमारा सुक्ष्म अहंकार कब हमारे बीच आकर उपस्थित हो जाता है,  हमें पता ही नहीं चलता। जो भी व्यक्ति अपने चिंतन द्वारा उसे पराजित कर देता है,  वह अपनी दैदिव्यमान गरिमा को प्राप्त कर उस ईश्वरीय सत्ता के बीच जा खड़ा होता है। उसकी आंतरिक शक्तियां जागृत हो कर उसे चेतना अवस्था में रखती है व स्थूल व सूक्ष्म दोनों ही में ही देख पाने में समर्थ होने लगता है। 

जो भी अपने व्यक्तिगत गुणों को तराशता जाता है,  वह निश्चित ही एक गरिमामय आभा अपने भीतर प्रकट कर लेता है, उसके संसर्ग में आने वाले प्राणी भी फिर प्राणवान हो जाते हैं। 

एक सकारात्मक ऊर्जा - पिंड का निर्माण हमारी विचार श्रंखला से ही प्रारम्भ होता है अथवा हमें वैचारिकता पर अवश्य ध्यान देना चाहिए,  आपके मानस - मन में चल रहे विचार वैसी ही ऊर्जा की ओर आप को खींच कर ले जाते हैं। अतः सतर्कता पूर्वक अपने आप को दिशा दें।

विशेष = भारतीय परंपरा में अभिवादन की एक श्रेष्ठता है बुजुर्गों को चरण स्पर्श,  बराबर वालों को प्रणाम,  बच्चों को स्नेह हमारी  भारतीय परंपरा का एक विशिष्ट अंग है। कृपया अपनी जड़ों से जुड़े रहें।  

                                                                                                                                                          आपका अपना,
                                                                                                                                                            सुनील शर्मा।

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