नारी शक्ति ( नवरात्री पर्व पर विशेष )

प्रिय पाठकगण,
सादर नमन।

नवरात्रि पर्व शुरू होने वाला है,  आज प्रवाह में बात करते हैं नारी शक्ति पर,  समाज में अगर नारी ना हो तो कल्पना करिए यह समाज किस दिशा व दशा में होगा।

एक नारी,  स्त्री,  एक मां,  पत्नी,  बहन इस प्रकार एक ही नारी कितने रूपों में अपने परिवार की सेवा करती है। इसके पीछे उसका निजी स्वार्थ कुछ भी नहीं होता है,  वह तो निस्वार्थ भाव से परिवार की सेवा करती है व उसे खुशहाल व समृद्ध बनाती है , इन सब के पीछे उसकी कितनी तपस्या व प्यार छुपा होता है।

एक अनजान परिवार में विवाह के बाद जब वह कदम रखती है,  उस परिवार में पति के स्नेह से सिंचित होकर वह परिवार के वंश वर्धन में सहायक बनती है,  परिवार में अन्य सदस्यों से तालमेल बनाती है,  वह अपने हित के लिए कुछ भी नहीं चाहती है। हां,  वह अपना मान सम्मान अवश्य चाहती है,  उसकी गरिमा को कोई ठेस ना पहुंचाएं,  इतना उसे अवश्य चाहिए और सही मायनों में वह इसकी हकदार होती है।

मां के रूप में वह बच्चों को वात्सल्य प्रदान करती है तो पत्नी बन कर पति के साथ हर सुख दुख में सहचरी की भूमिका का निर्वाह करती है,  पति के विपरीत समय में उसे हौसला प्रदान करती है। आत्मसम्मान हर स्त्री का अधिकार है,  हमारे शास्त्रों में स्पष्ट रुप से नारी की महत्ता का गुणगान किया गया है।

जहां नारी की पूजा अर्थात उन्हें सम्मान प्रदान किया जाता है,  वहां पर देवता भी रमण करते हैं अर्थात वहां पर देवता का या  दिव्यता का वास होता है,  इस तरह अपने आप में  शक्तिस्वरूपा ही तो है,  वह कही सरस्वती,  कहीं लक्ष्मी तो कही मां काली के रूप में है,  उसकी दिव्य सत्ता हमारे इर्द-गिर्द फैली हुई है,  बस आवश्यकता हमें उसे सही रूप में समझने की है।

इस देश में नारी शक्ति के अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं,  वर्तमान में भी लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन नारी हैं,  वह स्त्री शक्ति के सशक्त उदाहरण के रुप में हमारे सामने है। माननीय सुमित्रा महाजन,  सुषमा स्वराज जी,  हमारे इंदौर शहर की महापौर मालिनी गौड़ जी,  भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा जी,  भूतपूर्व राष्ट्रपति पद पर रही प्रतिभा पाटिल जी,  यह नारी शक्ति की प्रतीक वर्तमान समय की वह महिलाएं है,  जो अपनी अदम्य इच्छाशक्ति से वहाँ तक पहुंची है।

हमारी संस्कृति विरासत हमें सिखाती है,  नारी केवल भोग्या नहीं वरन वह पूज्या है। वह उसके निस्वार्थ रूप में परिवार को समाज की सेवा के कारण पूजनीय है। 

आप अपने अनुभव में भी पाएंगे की मां बच्चों को उनकी गलतियों पर माफ कर देती है क्योंकि वह स्नेहिल स्वभाव की होती है,  पुरुष या पिता थोड़े यथार्थवादी व कठोर होते हैं। इस प्रकार से हम पाते हैं कि मानवीय सभ्यता में निश्चित ही उनका स्थान सर्वोपरि होना चाहिए।

विशेष = नारी के कई रुप है मां,  बहन,  सास,  बहू, बेटी इस प्रकार नारी अपनी अनेक भूमिका का निर्वाह कुशलतापूर्वक करती है।  अतः नवरात्रि जो नारी शक्ति के नौ रूपों से हमारा परिचय कराती है,  आइए उन नौ रूपों में हम उनकी आराधना करें व अपने आपको धन्य करें।

                                                                                                                                                            आपका अपना, 
                                                                                                                                                             सुनील शर्मा।

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