अंतर भावना

प्रिय पाठक गण,
सादर नमन,
आप सभी को मेरा मंगल प्रणाम,
प्रभाव में आज हमारी चर्चा का विषय है ,
अंतर भावना।
     ‌‌       प्रकृति के अत्यंत सूक्ष्म रहस्य में से यह भी एक रहस्य ही है कि हमारे अंतर्मन में जो भी शुभ अशुभ भाव है,वे हमारे पिछले जीवनकाल या वर्तमान जीवन में हमारे द्वारा अर्जित किए गए। अपना प्रभाव  हमारे जीवन पर अवश्य डालते हैं।
जैसा भी हम सोचते हैं, देर सवेर वह हमारे द्वारा घटित होता है, ऐसा इसलिए कि हम जाने-अनजाने कई प्रकार के विचार व धाराओं को हमारे भीतर स्थान दे चुके होते हैं।
अंतर बोध द्वारा हम उनमें से जो हमारे द्वारा ग्रहण कर लिए गए हैं, उनमें से जो भी हमारे लिए महत्वपूर्ण है, वह विचार हम रखें, व अन्य विचारों को हम जिस प्रकार मोबाइल में हमारे काम की जो वस्तु या विषय नहीं होते हम हटाते जाते हैं।
उसी प्रकार विपरित, विरुद्ध विचार जो हमारे जीवन ऊर्जा को  क्षीण करते हैं, उन्हें अपने जीवन से हम निकाल कर बाहर करते रहे।
याद रखें, अंततः तो है हमारे मन की मूल भावना ही आखिरकार हमारे लिए हमारा मार्ग प्रशस्त करेगी या हमारी बाधा का कारण बनेगी।
हम बहुत सोच समझकर अपने क्रियाकलापों में सारी बातों को स्थान प्रदान करें, ताकि हमारा अपना जीवन तो सुधरे अन्य जो हमारे साथ हैं, उनका भी जवन प्रगति की ओर बढ़े ,जीवन में अच्छे मूल्यों , विचारों को स्थान दें।
यह मेरा ब्लॉग भी मेरी मूल अंतर भावना होने के कारण कि समाज को हमारे पास अगर ज्ञान भी है, तो उससे अगर दिशा प्राप्त होती है तो हमें अवश्य अपने विचारों को समाज में प्रस्तुत करना चाहिए, सहयोगी तो स्वयं ही मिल जाएंगे।
विशेष:-हमारी अंतर भावना या कामना जिस और भी चलेगी, परिणाम निश्चित ही वही आएंगे, जीवन में उसकी कृपा को स्वीकार करके अगर हम समस्त कार्यों को करते हैं, तो हमें हमारे कार्य बोझ नहीं लगते, वरन एक स्वस्फू्र्त उर्जा का निराला संचार हमारे भीतर हो जाता है।
इति शुभम भवतू,
आपका अपना
सुनील शर्मा

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