स्व अनुशासन

प्रिय पाठक गण,
सादर वंदन,
आप सभी को मेरा मंगल प्रणाम, आज प्रभाव पर चर्चा का विषय है, स्व अनुशासन मेरे युवा साथियों यह विशेष तौर से आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
        आपका जीवन अभी शुरुआती दौर में है,  विवेक पूर्वक अपने समय को इस प्रकार समायोजित करें कि वह आपके जीवन को एक सुंदर दिशा प्रदान कर सकें।
आपके सामने कई प्रकार के विभिन्न स्वप्न आपके मन मस्तिष्क में चल रहे होते हैं, उन्हें सही दिशा प्रदान करना, मन मस्तिष्क में चल रहे विभिन्न विचारों में से श्रेष्ठतम विकल्प को चुन कर उस पर पूर्ण मनोयोग से कार्य करने पर आप अपने जीवन का निर्माण कर सकते हैं।
बहुत ही सावधानी पूर्वक आको अपने जीवन लक्ष्यों को तय करना चाहिए, व स्व अनुशासन यानी स्वयं के द्वारा इनकी सही तरह से नियम पूर्वक पालन करने पर आप मनोवांछित लक्ष्य को पा सकते हैं।
आज जब हम समाज में चारों तरफ विभिन्न समस्याओं को पाते हैं, तब यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
अपनी दिशा स्वयं तय करें, ईमानदारी पूर्वक उसका पालन करें, फिर देखें वह ईश्वर भी कैसे आपका सहायक होता है।
दृढ़ता पूर्वक अच्छे नियमों को जीवन में अपनाएं उनका पालन करें, मंजिल आप का रास्ता देख रही है।
आज का मेरा यह लेख विशेष तौर से युवा वर्ग को ही समर्पित है,क्योंकि वह अपने भावी जीवन का निर्माण करने जा रहे हैं, अतः यह लेख उनके लिए निश्चित ही एक प्रेरणा का कार्य करेगा।
इन्हीं शब्दों के साथ आज के इस लेख को विराम, शेष फिर ।
विशेष:-स्व अनुशासन यानी स्वयं पर नियंत्रण, स्वयं पर सही नियंत्रण हीं स्वअनुशासन है, अगर आप सही दिशा व विषय का चयन कर उस पर कार्य करेंगे तो आपकी सफलता निश्चित है ।
इति शुभम भवतु
आपका अपना
सुनील शर्मा

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