अहंकार पतन की निशानी

प्रिया पाठक गण, सादर वंदन
आज प्रवाह में हम चर्चा करेंगे , अहंकार पतन की निशानी है।
आज हमारा समाज एक विचित्र स्थिति में खड़ा है, यह विचार सुनने हो केवल अंधानुकरण की प्रवृत्ति की ओर चल पड़ा है।
चाहे वह राजनेता हो या धार्मिक नेता व्यक्ति पूजा से कोई भी देश समृद्ध नहीं होते।
हमें होश पूर्वक तय करना होगा, आखिर हम की दिशा में समाज को ले जा रहे हैं।
आज देश में जो वास्तविक स्थितियों को अनदेखा करने की परिस्थितियां उत्पन्न हो रही है, वह कतई उचित नहीं है।
इसमें राजनेता , धार्मिक गुरु, स्वयं हम लोग जो इस देश के नागरिक हैं, सभी का सामूहिक फर्ज बनता है।
आज से 10 साल पहले इस देश में भले ही भौतिक समृद्धि इतनी ना हो पर एक सुकून का वातावरण था , क्या कारण है, हमें इसकी तह में जाना होगा।
वैसे मुझे तो इसका स्पष्ट एक ही कारण जान पड़ता है, हर क्षेत्र में जो नैतिक क्षरण हुआ है वह इसकी मूल जड़ है।
हमने धन को इतना अधिक महत्व दे दिया है कि हम सामाजिक मूल्यों व नियमों की अनदेखी करने लगे , और यही हमारे पतन का कारण बन रहा है।
समय रहते इस अहंकार से राजनेता अगर ना उबरे क्योंकि उनकी सबसे अधिक जवाबदेही इसलिए है कि वे शासन संचालित करते हैं।
एक मौलिक प्रश्न है हमारे परिवार की आय अगर ₹25000 हो तो परिवार में 6 सदस्य हो तो हम पहले अपने परिवार का पालन पोषण करेंगे बाद में किसी अन्य का।
आज दुर्भाग्य से देश में हमारे राजनेता इस प्रकार की रीति नीति का निर्माण कर रहे हैं कि हमें देश की आवश्यक और जो मूलभूत आवश्यकता है कृषकों की मजदूरों की छोटे काम धंधे वाले लोगों की उस और सरकार का ध्यान नहीं है।
हमारे देश के नीतिकार  भूल गए कि अहंकार से देश नहीं चला करते देश सही नीति से चला करते हैं।
सरकार की कुछ नीतियां स्वागत योग्य है, पर कुछ नीतियां जिन पर पूर्ण मंथन नहीं किया गया है और समाज में लाया गया है, उस पर शासून को फिर पूर्ण मंथन करना चाहिए, साथ ही जनता को भी चाहिए कि वह सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान ना करें।
विशेष:- अहंकार से देश नहीं चला करते,अहंकार किसी का भी हो अंततः  समाज के पतन का कारण सिद्ध होता है, अतः सभी पक्षों से अपील है वह सही तरीके से अपने अपने पक्ष को रखें, यही प्रजातंत्र है।
आपका अपना
सुनील शर्मा

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