स्थूल व सूक्ष्म

प्रिया पाठक गण,
सादर वंदन,
अभी नवरात्रि  पर्व चल रहा है, मां की कृपा पाने की आराधना सभी और चल रही है।
 इस समय जब समस्त विश्व में हाहाकार का वातावरण है, तब तो इसकी आवश्यकता और अधिक बढ़ जाती है। यह जो कोरोना वायरस है यह सूक्ष्म है, अतः इससे स्थूल स्तर पर लड़ने के साथ हमें सूक्ष्म स्तर पर भी तैयारियां करनी चाहिए।
हमें बाहरी सारे उपाय अपनाते हुए सूक्ष्म जाप भी अवश्य करना चाहिए, क्योंकि यह जीव सूक्ष्म है। अतः वैज्ञानिक आधार पर भी सूक्ष्म से सूक्ष्म में गति अवश्य करना चाहिए।
इस प्रक्रिया को हम यूं समझे कि हम कोई भी विचार सूक्ष्मा में भी करते हैं , वह अपना प्रभाव अवश्य छोड़ता है, हम साधारण बोलचाल की प्रक्रिया में भी जब आपसी बातचीत करते हैं जब वह भी प्रभावी होती है, तब हम सोचने की शक्ति से कैसे इंकार कर सकते हैं। जब हम सूक्ष्म जीव के प्रभाव से इतने त्रस्त हैं,तब तो हमें हमारी प्राचीन अवधारणाओं पर अवश्य चिंतन करना चाहिए। इसका में मौलिक उदाहरण आपको प्रस्तुत करता हूं, जब हम भोजन करते हैं, तब वह भी किसी किसी के हाथों का बनाया हुआ हमें बहुत स्वादिष्ट लगता है, क्या कारण है कि वह स्वादिष्ट लगता है, कारण भी सूक्ष्म है, वह शरीर व मन दोनों से भोजन बनाने की प्रक्रिया में शामिल होता है, फल स्वरुप भोजन का स्वाद बदल जाता है।
एक सामान्य से उदाहरण से हमें अपनी मानसिक शक्ति का प्रभाव समझ में आ जाना चाहिए, हमारा जो प्राचीन मंत्र विज्ञान है वह सूक्ष्म पर कार्य करता है।
आपको एक और उदाहरण देता हूं, हम पुराना कोई सदाबहार गीत सुनते हैं, हमारी मानसिक उर्जा में वृद्धि हो जाती है, यानी शब्द में शक्ति है।
अब हम हिंदू धर्म की प्रार्थना पर गौर करते हैं।
सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मा कश्चित् दुख भाग भवेत्।
इस श्लोक में इतनी सुंदर भावपूर्ण प्रार्थना की गई है सभी सुखी हो, सभी निरोगी हो, सभी भद्र हो, किसी को भी किसी प्रकार का कष्ट ना हो।
इतनी सुंदर प्रार्थना इसमें किसी के भी अहित की कल्पना मात्र तक नहीं की गई है, ऐसे सुंदर भाव से हमारी प्राचीन संस्कृति ने हमें अनुग्रहित किया है।
अतः आपसे एक विनम्र निवेदन है हमारी भारतीय संस्कृति का उपहास न करें, उनके वैज्ञानिक तथ्यों का अन्वेषण करें। एक बार आप सही दृष्टि से अवलोकन करें, आपको मेरी बात अवश्य समझ में आएगी, क्योंकि इस समय हमें अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति का सही वैज्ञानिक अनुसंधान करने की महती आवश्यकता है, हम ईस महामारी से तात्कालिक उपचार द्वारा तो लड़े ही, पर जो हमारे प्राचीन ग्रंथों में कई रहस्य छुपे हैं, उन्हें भी जाने।
जिस प्रकार यह जीव सूक्ष्म है, हमारा मंत्र विज्ञान भी सूक्ष्म है,साधारण सी बात है अगर कोई तलवार से लड़ रहा है तो हमें भी तलवार का ही प्रयोग करना होगा,इसी प्रकार हमें सूक्ष्म जीवों से लड़ने के लिए सूक्ष्म प्रयोगों पर भी अवश्य ध्यान देना चाहिए, और निश्चित ही इनका उपाय हमारे धर्म ग्रंथों में छुपा हुआ है, हम जो यज्ञ करते हैं, उसमें भी जल के आचमन द्वारा पहले हम मानसिक शुद्धि करते हैं, तत्पश्चात  विधि पूर्वक मंत्रों द्वारा आहुति प्रदान करते हैं।
अतः हमें बाह्य उपायों के अलावा हमारे प्राचीन ज्ञान पर भी अवश्य कार्य करना चाहिए।
इसका एक वैज्ञानिक पहलू यह भी है कि हमारे शरीर में 70% पानी है, हम जो भी मानसिक क्रिया करते हैं, वह हमारे मानस पर प्रभाव अवश्य डालती है।
विशेष:-इसे प्रचार न समझ कर इस आपत्ति काल में बाह्य उपचार के साथ हम आंतरिक उपचार भी अवश्य करें। मां भगवती  सभी का कल्याण करें। इसे मानना ना मानना आप पर निर्भर है,मंत्रों में सूक्ष्म गति होती है वह उस पर कार्य करते हैं तथा यह कोरोनावायरस  भी  सूक्ष्म जीवी है।
बस आप सब से यही विनम्र प्रार्थना, आपको मंत्र का ज्ञान न भी हो, आप मानसिक प्रार्थना तो अवश्य कर सकते हैं।
आपका अपना
सुनील शर्मा
इति शुभम भवतू

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