सादर नमन,
14 अप्रैल 1891 में जन्मे बाबा साहब अंबेडकर के बारे में दो दो शब्द।
बाबासाहेब अंबेडकर को उस समय के सामाजिक न्याय की अलख जगाने वले क्रांतिकारी नेता के रूप में हम याद करें तो हम पाएंगे, उसे समय के सभी नेताओं से अलग उनकी स्वयं की गहरी सोच व विचारधारा रही, जो उनके अपने जीवन में घटे घटनाक्रमों से उपजी, जहां पर बचपन में ही वह सामाजिक विषमता का सामना करते हैं, वह उनका बालमन इससे भीतर तक हिल जाता है, इस घटनाक्रम के चलते हुए मानसिक प्रण करते हैं कि सामाजिक विषमता जो न केवल उनके जीवन में, बल्कि उनके जैसे कई लोगों का जीवन बदतर बना रही है, और कोई इसके खिलाफ आवाज उठाने वाला नहीं है।
बस फिर क्या था, उस बचपन में बीते घटनाक्रम ने उनकी अंतरात्मा को भीतर तक झकझोर दिया और फिर जो हुआ, वह कालांतर में एक बड़े विचारक, बड़े समाज सुधारक वह संविधान के नीति निर्माता के रूप में मानो उनका पुनर्जन्म होता है।
उन्होंने अपने जीवन में घटे घटनाक्रम को एक सकारात्मक मोड़ दिया, वहां से वे एक दिव्या विभूति के रूप में उभरे।
उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन काल में शिक्षा व सामाजिक चेतना को सर्वाधिक महत्व प्रदान किया, उनके जैसे विचारशील वह क्रांतादृष्टा नेता बहुत ही काम हुए हैं।
उन्होंने उसे समय के जनमानस पर अपने विचारधारा की गहरी छाप छोड़ी, आज जब हमारा संपूर्ण देश स्वार्थ पूर्ण राजनितिक हथकंडो में ही उलझ कर रह गया है।
तब वे वर्तमान परिदृश्य में और अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं, उन्होंने अपना तमाम जीवन सामाजिक संघर्ष करते हुए ही बिताया।
तमाम विसंगतियों का सामना करते हुए वे सामाजिक प्रणेता की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सदियों से चली आ रही गलत प्रथाओं का जिस साहस से उन्होंने सामना किया वे स्वयं भी शिक्षित हुए, आज समय है हम
उनकी मूल विचारधारा को समझें कि क्यों सामाजिक संरचना में समरसता आवश्यक है।
वे स्वयं दलित महार जाति से थे, जो उसे समय समाज में अस्पृश्य मानी जाती थी।
एक संविधान निर्माता के रूप में उनकी जो केंद्रीय भूमिका रही, व उस संविधान समिति के अध्यक्ष भी वे रहे, इस प्रकार उनके व्यक्तित्व बहुआयामी रहा।
उनका व्यक्तित्व हम सभी के लिए आज भी प्रेरणा का स्रोत है, उनके संविधान निर्माता के रूप में भी लक्ष्मी भूमिका रही व तत्कालीन परिस्थितियों की गहरी समझ के आधार पर उन्होंने समाधान के निर्माण की महत्वपूर्ण भूमिका का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया।
सामाजिक उत्पीड़न व भेदभाव को उन्होंने स्वयं व्यक्तिगत जीवन में भी महसूस किया, तभी उनकी सोच एक परिपक्व व गहरे राजनेता के रूप में है, हमने हृदय से नमन करते हैं।
उसे दौर में उनके द्वारा जो समाज में शिक्षा की अलख उन्होंने जगाई वह सामाजिक परिवर्तन की महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन उन्होंने किया ।
आज हमें और अधिक गहराई से चिंतन करने की आवश्यकता है। यही हमारी बाबासाहेब अंबेडकर के जन्म दिवस पर उनके प्रति सच्ची कृतज्ञता होगी।
उनका व्यक्तित्व काफी विराट था, इसके कई आयाम थे।
उनका हृदय से प्रणाम वह भारत भूमि के ऐसे महान रत्कोन शत-शत नमन। उन्होंने सामाजिक विषमता के खिलाफ जिस प्रकार से अपनी बात सशक्त तौर पर कहीं , आज फिर उनके जैसे व्यक्तित्व की देश को फिर आवश्यकता है।
आज के परिप्रेक्ष्य में हमारे उनके पति सच्ची कृतज्ञता यही होगी हम उनके जीवन चरित्र से प्रेरणा प्राप्त करे वह आज के सामाजिक संदर्भ में समरसता और सामाजिक न्याय के लिए जो भी आवश्यक कदम है वह उठाए।
ऐसे भारत माता के के महान सपूत, विचारक, क्रांति दृष्टा,
सामाजिक क्रांति के प्रणेता जननायक बाबासाहेब अंबेडकर को
शत शत नमन, जिन्होंने भारत के संविधान को इतनी गहनता पूर्वक रचा वह उसने समय-समय पर संशोधन भी हो सके, ऐसा लचीला संविधान बनाया।
वे युगदृष्टा थे, अपने समय के ऐसे महान विचारक वह सामाजिक क्रांति के अग्रदूत को पुनः उनके जन्मदिवस पर शत-शत नमन ।
जय हिंद।
जय भारत।
आपका अपना,
सुनील शर्मा।
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