प्रिय पाठक गण,
सादर प्रणाम,
हम सभी अपने जीवन को समृद्ध बनाना चाहते हैं, पर क्या आपने कभी भी ठहर कर विचार किया है, जीवन में समृद्धि किस प्रकार आयेंगी।
हमारे अपने जीवन के कई चरण है, प्रातः काल अगर हम
अगर जल्दी उठने का अभ्यास करें, प्रातः कालीन सैर पर हम अवश्य जाये, कोशिश करें प्रकृति से तादात्म्य स्थापित करें,
उसे समय सांसारिक बातों से भी हम दूर रहे, तो हमारे भीतर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगेगा, हम जितना अपने आप को स्थिर चित्त करते हैं, हीआंतरिक शांति को प्राप्त होते हैं।
मनोयोग पूर्वक प्रकृति से जुड़े, एक आनंद धारा को
महसूस करें, घूमने जाते समय सांसारिक विचारों से दूर रहने का प्रयास करें।
आप पाएंगे, अभी तक हम जो जीवन जी रहे थे, वह हम जी नहीं रहे थे, केवल उसे ढो भर रहे हैं।
केवल एक दिन को जीवन उत्सव ना बनाइये, अपने पूरे जीवन को ही एक शानदार उत्सव बनाये, जो भी आपसे रूबरू हो, वह आपका कायल होने लगे।
हमें आंतरिक शांति तभी प्राप्त हो सकती है, जब हम समन्वय करना सीख ले, किस प्रकार से चीजों को समायोजित किया जाता है, वह कल अगर हम सीख ले तो किसी भी प्रकार की अशांति हमारे जीवन में होगी ही नहीं।
जीवन में विभिन्न समस्याएं भी आती ही है, वह जीवन का अनिवार्य तत्व व सत्य है, मगर आप उसे समय अपने जीवन मूल्यों को अगर सहेज कर रख पाते हैं तो देर सवेर स्थिरता अवश्य आती हैं।
जीवन मूल्यों को जीते हुए जब हम चलते हैं, साथ में जो भी हमारे हैं, उनके साथ सही बर्ताव करते हैं, सही समन्वय स्थापित करते हैं,
तो निश्चित ही हम आंतरिक शांति के द्वार अपने जीवन में खोलते हैं।
हम सभी के जीवन में स्थिति चाहे भिन्न-भिन्न हो, मगर उन्हें सकारात्मक संवाद व मार्ग द्वारा ही सुलझाया जा सकता है।
जितना अधिक हम मंथन करेंगे, जीवन को बुद्धिमत्ता पूर्वक सही तरीके से जीने के सूत्र हम बना लेंगे, जैसे स्वास्थ्य, संवाद, समय का उपयोग, समन्वय इस प्रकार के उत्तम गुना का समावेश जीवन में कर ले तो हम पाएंगे हमारा जीवन आंतरिक शांति की और आने लगा है।
जीवन मूल्यों को सही तरीके से अपने जीवन में स्थापित करने पर धीरे-धीरे जैसे-जैसे हम उन उत्तम गुना को धारण करते जायेंगे, आंतरिक शांति में अभिवृद्धि अपने आप ही होने लगेगी,
अपने मूल विचार पर सदैव दृढ़ रहे। सामाजिक जीवन मूल्यों को अपने जीवन में अपनाये, सदा मदद की कोशिश करें, जो भी हमारी सीमाओं के भीतर हो, वह हम अपने जीवन में अवश्य करें,
स्वयं जागृत हो, साथ में औरों को भी जागृत करें।
इस प्रकार हम नित्य निरंतर अपने साधना पथ पर बढ़ते जाये, आप पाएंगे एक अलग सा एहसास जिंदगी में आने लगा है।
पूर्ण रूप से सजगता ही जीवन की आंतरिक शांति की दिशा में पहला कदम है। पहला कदम सही रखिये, अपने सही ध्येय को सामने रखिये, कदम बढ़ते जाये, अपने आप परिवर्तन भीतर से घटने लगेगा।
विशेष:- हम सभी के जीवन का मूल उद्देश्य ही यह है कि जीवन में सभी प्रकार की समृद्धि हमें मिले और यह तभी संभव है, जब हम भाई अब आंतरिक विचारों में एक उचित संतुलन को स्थापित कर सके, अगर हम ऐसा कर सके तो उसके फलस्वरुप हमारे जीवन
में आंतरिक शांति की अभिवृद्धि होने लगेगी।
इति शुभम भवतू।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत
जय हिंद
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