प्रिय पाठक गण,
सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम, आप सभी को मेरे द्वारा लिखे गये लेख कैसे लग रहे हैं, कृपया अपनी प्रतिक्रिया मुझे अवश्य प्रेषित करें, इससे मेरा भी उत्साहवर्धन होता है।
चलिये, अब आज हम इसी वैचारिक श्रृंखला में आगे बढ़ते हैं, मेरा आज का विषय है , प्रतिबद्धता।
इसे अगर हम सही ढंग से समझे तो हम सभी का जीवन एक मामले में तो समान ही है, हम सभी को जीवन में समान समय प्राप्त है, फिर उसी समय में कोई हमें शीर्ष पर दिखता है, वह कोई नहीं। इसका सबसे स्पष्ट कारण केवल एक ही है, हमारी अपनी स्वयं के जीवन के लक्ष्य के प्रति अस्पष्टता, जब तक हमें स्वयं ही यह ज्ञात नहीं कि हमें इस जीवन में क्या करना है, किस प्रकार से जीवन को जीना है, तब हम किसी भी व्यक्ति व परिस्थिति स्थिति को इसका दोष नहीं दे सकते, जब हमारे सामने हमारा लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट हो तो हर बात बेमानी हो जाती है, क्योंकि जैसे ही आप स्वयं अपने लक्ष्य का निर्धारण करते हैं, पहला कदम आपका वहीं से प्रारंभ हो जाता है, सबसे पहले हमें अपनी स्वयं की रुचियों को जानना चाहिये, क्योंकि जो भी हमारी रुचि का क्षेत्र होगा, उधर हमारी प्रगति की संभावना सबसे अधिक होगी, इसका कारण भी बिल्कुल स्पष्ट हैं, जैसे ही आप अपनी रुचि के क्षेत्र में कार्य करते हैं, तब आप उसे कार्य से भीतर से जुड़ जाते हैं वह आप उसमें आनंद को महसूस करते हैं, फिर उसे कार्य को करने की आपकी ऊर्जा कई गुना बढ़ जाती है वह जैसे ही आपके कार्य करने की ऊर्जा भीतर से बढ़ती है, आप अपने लक्ष्य की ओर बिल्कुल स्पष्ट और धैर्य पूर्वक आगे बढ़ते जाते हैं।
इसीलिए सर्वप्रथम तो हमें अधिक से अधिक स्वाध्याय करना चाहिये, स्वाध्याय यानि स्वयं का अध्ययन, अगर आपको पुस्तकें पढ़ना पसंद है, तो किस प्रकार की पुस्तक आपको पढ़ना पसंद है, समाज में लोगों से मिलना-जुलना जुलना पसंद है व विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेना तो निश्चित ही आपको रचनात्मक सक्रियता पसंद है, अगर आपको इस प्रकार की गतिविधियां पसंद है, तो जैसे ही आप इन गतिविधियों से जुड़ते हैं,
आपकी ऊर्जा द्विगुणित हो उठती है।
निष्क्रियता से जीवन में किसी भी उपलब्धि को हासिल नहीं किया जा सकता है। आपकी सक्रियता ही आपको उस मुकाम तक पहुंचा सकती है, जहां तक आपको जाना है, पता आपको स्वयं होना चाहिये , हमें किस और कार्य करना है, इसके लिये सबसे पहले हमें अपनी अभिरुचियों को जानना होगा।
जीवन में आपने जो भी सोचा है, या फिर आप सोचते हैं,
उन सब पर आपकी स्वयं की प्रतिबद्धता ही इस बात का निर्णय करती है कि आपके जीवन में क्या प्राप्त होगा, अगर सकारात्मक रवैये से हम अपने आसपास के घटनाक्रम का सही ढंग से अवलोकन करते हैं, तो हमें अपने लक्वष्यों उसको जीवन में कैसे हासिल करना है, इसके प्रति स्पष्टता होगी , वह आप फिर उसी दिशा में कार्य करगे।
और लक्ष्य स्पष्ट होने व एक दिशा में कार्य करने पर परिणाम तो आना तय है।
अपने लक्ष्य के प्रति स स्पष्ट उसे करने के प्रति आपकी गंभीरता हीजीवन में उस मुकाम तक लेकर जायेगी, जिसकी आप कल्पना करते हैं। जैसे ही हमारे सामने लक्ष्य स्पष्ट होता है, हम उस दिशा मैं कार्य करने की आधी तैयारी तो मात्र लक्ष्य के सही निर्धारण से ही कर लेते हैं।
जब आप तो अपनी रुचियां को जान लेते हैं कि वह किस विषय में है, और दृढ़ता पूर्वक आप उसे पर कार्य करते हैं, तो निश्चित ही आपकी सफलता उसी समय से शुरू हो जाती है, हो सकता है आपकी रुचि के क्षेत्र अधिक हो , तब आपको आपकी
सर्वाधिक रुचि किस क्षेत्र में है, उसे स्वयं जानना चाहिये, जब आप अपनी सर्वाधिक रुचि वाले क्षेत्र की ओर जाते हैं तो आपकी मानसिक जुडाव के कारण आपको उसे कार्य को करने में कभी भी थकान महसूस नहीं होगी, वरन् और अधिक ऊर्जा प्राप्त होगी।
इस प्रकार जब आप अपनी अभिरुचि को पहचान लेंगे तो उसके बाद आपकी उसके प्रति प्रतिबद्धता ही आपके आगे का मार्ग प्रशस्त करती जायेगी।
विशेष:- हमारी या किसी और के जीवन की जब हम उपलब्धियां को देखते हैं, तो उनके पूरे जीवन को सही ढंग से देखिये, वे अपने पूर्ण जीवन को प्रतिबद्धता पूर्वक जीते हैं, तभी वे किसी विशेष मुकाम पर पहुंचते हैं, तो फिर जागृत होइये, अपनी अभिरुचि को पहचानिये व पहचानने के बाद उसके प्रति प्रतिबद्धता पूर्वक कार्य करिये, निश्चित ही परिणाम आपके पक्ष में खड़े होंगे।
इति शुभम भवतू।
आपका अपना
सुनील शर्मा ।
जय भारत।
जय हिंद।
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