सागर नमन,
मुझे पूर्ण विश्वास है, मेरी यह वैचारिक यात्रा आप सभी को
मुझे जोड़ रही होगी, मेरा पूर्ण प्रयास होता है की जो भी लिखूं पूर्ण हृदय से, मेरी लेखनी में जो भी शक्ति है, वह सब मां सरस्वती की मुझ पर कृपा है, मुझे जीवन जीने के दौरान जो भी महसूस हुआ,
उसे मैं कलम बंद करना आरंभ किया।
इसके पीछे मेरा उद्देश्य यह है कि हम सब अपने जीवन में
विभिन्न समस्याओं से रूबरू होते हैं।
समस्या आने पर हम किस प्रकार से उसके समाधान को खोजते हैं, वह कौन से कारण है, जिन कारणों से हम आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
उन बातों पर अगर हम सही तरीके से कार्य करते हैं तो हम पाएंगे की समय की कमी नहीं, वरुण हमारे सोच व उसको करने के लिये जो इच्छा शक्ति है, वह कमजोर है। हमें अपने आप को स्वयं को समय देना आवश्यक है, अगर आप सही सोच के साथ अपने कार्यों को पूर्ण निष्ठा से करते हैं, तो आप देखेंगे, वे परिवर्तन आश्चर्यजनक होंगे , समय भी वही है, सब कुछ वही है, क्या बदला? अपने अपने भीतर एक दृढ इच्छा शक्ति का निर्माण किया और अपनी राह चुनी वह उस पर निरंतर चलना प्रारंभ कर दिया।
निरंतर ही वह सीढ़ी है, जो हमें हमारे गंतव्य तक पहुंचाती है।
बात चाहे आर्थिक समृद्धि की हो, नैतिक समृद्धि की हो या सामाजिक समृद्धि की हो, आपके नित्य व निरंतर प्रयास से ही तस्वीर बदलती है।
आप जो भी सोचे या करें उसने एक निरंतरता अवश्य होनी चाहिये, जब आप किसी एक दिशा में निरंतर प्रयास करते रहेंगे तो परिणाम तो आएंगे ही।
स्वयं से बात करें, आपकी जिंदगी आपकी अपनी है, क्या आप उसे यूं ही गवा रहे हैं, या किसी सार्थक दिशा की और ले जा रहे हैं, हम जब कोई कार्य करते हैं, तो उसकी रूपरेखा तय करते हैं, कार्य को किस प्रकार से करना है, सामने क्या बाधाये आयेंगी,
उनका हाल हम किस प्रकार निकालेंगे, समुचित रूप से किसी कार्य को करने के लिये हम रूपरेखा बनाते हैं, तो फिर यह तो हमारे जीवन का सवाल है, हमें किस प्रकार अपना जीवन जीना
है, क्या उसकी भी सही रूपरेखा बनाना आवश्यक नहीं है।
तब यह जीवन जो परमात्मा ने हमें प्रदान किया है, क्या हुआ ऐसे ही पूरा करना चाहते हैं या जीवन में कोई उपलब्धि हासिल करना चाहते हैं, जब तक हम स्वयं से यह सवाल नहीं करते, हमे सही उत्तर भी प्राप्त नहीं हो सकता।
जीवन में अगर उपलब्धियां चाहिए तो प्रयास भी करना होगा, बिना प्रयास के तो आप कोई भी उपलब्धि नहीं पा सकते हैं।
स्वयं के जागरण के बिना हम आगे का मार्ग तय नहीं कर सकते हैं, सतत रूप से अपने आपक जांचते रहिये, क्या हम जो सोचते हैं, हमारे कार्य की दिशा भी वही है, या हम सोच कुछ और रहे हैं और कर कुछ और रहे हैं, तो परिणाम सही कैसे प्राप्त होंगे।
नित्य प्रति अपने आप को कसौटी पर कसे, आपने जो भी
सोचा है, आप उन सब पर कितनी गंभीरता पूर्वक कार्य कर रहे हैं, वही आपको अन्य लोगों से अलग करता है।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जयभारत
जय हिंद
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