सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
प्रवाह की इस सुंदर यात्रा में आप सभी का स्वागत है,
आइये, इस धारा में एक और सुंदर लेख प्रस्तुत है।
नैसर्गिक गुण, प्रत्येक मनुष्य की प्रकृति भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है यह कहे कि नैसर्गिक गुण अलग-अलग होते हैं। जब हम स्वयं का नैसर्गिक गुण व अन्य का नैसर्गिक गुण जान लेते हैं, तो
हमें बड़ी ही आसानी हो जाती है।
जैसे इस संसार में दो प्रकार की विचारधारा वाले व्यक्ति होते
हैं, एक होते हैं सकारात्मक व दूसरे होते हैं नकारात्मक, कुछ दोनों का सम्मिश्रण, इस प्रकार की प्रकृति वाले हम सभी है, इन तीनों में से हम कौन सी श्रेणी के है, अपने गुणों द्वारा हम स्वयं पता करें।
वस्तुओं का, पदार्थ का भी नैसर्गिक गुण होता है, जैसे अग्नि
का नैसर्गिक गुण जलाना है, पानी का शीतलता, पृथ्वी का धारण शक्ति, वायु का गुण संचार, आकाश का गुण व्यापकता।
पदार्थ के भी गुण धर्म होते हैं, इसी प्रकार हर मनुष्य का भी गुण भिन्न-भिन्न हो सकता है, हमें इसकी पहचान व्यक्ति की कथनी व करनी दोनों में ही साम्यता है या नहीं, इसे ही करनी होती है,
हर एक का स्वभाव भिन्न होता है, हमें बहुत ही सावधानी पूर्वक समग्र चेतना को जागृत रखना चाहिये, संपूर्ण अवलोकन करने
के उपरांत ही हमें निर्णय लेना चाहिये।
जिस किसी में जो भी नैसर्गिक गुण है, वही उसकी असली शक्ति है, हमें स्वयं के नैसर्गिक गुण व अन्य के नैसर्गिक गुणों को जानना चाहिये, वह हम उसके आचरण द्वारा ही जान सकते हैं।
सकारात्मक व नकारात्मक, जीवन की राह में दोनों ही
आवश्यक है। कहां, कब, कैसे क्या प्रयोग करना है, यह हमें अपने स्वयं के अनुभव से प्राप्त होता है, सकारात्मक दृष्टिकोण हमें
प्रेरणा प्रदान करता है।
दृढ़ इच्छा शक्ति, अपने -आप पर पूर्ण नियंत्रण, क्या करना,
कैसे करना, कब कदम उठाना, कब पीछे लेना, यह सब हमें जीवन के अनुभवों से प्राप्त होता है।
जितने गहरी अनुभव होंगे, आपकी सटीकता उतनी ही अधिक
बढ़ती जायेगी।
समय को व्यर्थ गवाना भी समय को खोना ही है, जो भी समय है, उसका जितना हम बेहतर संयोजन करेंगे, उतनी ही हमारी प्रगति तय है।
ईश्वर ने हम सभी को अपार संभावनाएं प्रदान की है, बस आवश्यकता हमें अवसरों को पहचान कर कार्य करने की है।
मनुष्य जीवन में अगर हम किसी भी लक्ष्य पर ईमानदारी से कार्य करें, तो संभव जीवन में कुछ भी नहीं है।
जितनी आपकी मानसिक दृढ़ता को आप समझते जायेंगे, इस पर कार्य करेंगे, उतनी ही वह पर होती जायेगी, परिणाम स्वयं आपके द्वार पर दस्तक दे रहे होंगे।
जैसे मेरा स्वयं का मूल स्वभाव लेखन कला व कला से जुड़ाव
हैं, तो वह मुझे मानसिक ऊर्जा से भरपूर कर देता है।
इसी प्रकार आपको भी स्वयं का व दूसरे का भी नैसर्गिक गुण परखते से आना चाहिये, आप जिनके भी संपर्क में है, उनका अवलोकन तो अवश्य ही कर लेना चाहिये।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत,
जय हिंद।
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