सकारात्मक चिंतन

प्रिय पाठक गण,
     सादर नमन, 
 किसी भी व्यक्ति या समाज की तरक्की तभी होती है, जब आपके कार्य व चिंतन की दिशा सकारात्मक हो। 
           अगर आप सकारात्मक चिंतन करते हैं तो आप निश्चित ही किसी भी समस्या का व्यावहारिक समाधान खोज ही लेंगे।
         अगर आपके चिंतन की दिशा सकारात्मक नहीं है, तो आप सही अवलोकन भी नहीं कर पाते हैं, आपकी सोच अगर सकारात्मक है तो आप कुछ ना कुछ हल अवश्य ही निकाल लेंगे।
        अपनी सोच को सदैव ही सकारात्मक रखें, परिस्थितियां आती जाती रहेगी, अनुकूल भी, प्रतिकूल भी, अनुकूल स्थिति में 
सही कदम उठाये, प्रतिकूल स्थिति में  धैर्य  न  खोये।
        अगर सोच को आप सकारात्मक रखते हैं, तो आप समाधान को खोजेंगे, वह अपने आसपास के परिवेश में रह रहे अन्य व्यक्तियों में भी सकारात्मकता का सन्चार करेंगे।
       फिर आप जो भी कदम उठायेंगे, वह आपकी सकारात्मक चिंतन के कारण सही दिशा की ओर ही जायेगा।
     स्वयं सकारात्मक रहे, परिवार में सकारात्मक वातावरण रखें, 
सहयोग व समर्पण की भावना विकसित करें, तो कोई भी बाधा
आपकी राह में नहीं आयेगी और अगर आई भी तो वह बाधा सकारात्मक चिंतन के कारण आपका मार्ग ही प्रशस्त करेगी।
      एक सफल नेतृत्वकारी का प्रथम गुण सकारात्मक चिंतन ही होना चाहिये, वह स्वयं सकारात्मक होगा तो अन्य में भी ऐसी ही भावना का बीजारोपण अवश्य करेगा। सही दिशबोध के साथ 
ही जीवन को स्वयं भी जीते हैं वह औरों को भी अपने सकारात्मक चिंतन द्वारा औरों को प्रेरित करने का कार्य करते हैं।
       स्थितियां जीवन में कैसी भी हो, जब हमारा चिंतन ही सकारात्मक होगा तो हम किसी भी प्रकार उनका हल निकाल ही 
लेंगे।
    विपरीत परिस्थितियों उपस्थित होने पर भी हम अपना धैर्य न छोड़े व समय की प्रतीक्षा करें। क्योंकि समय सदा स्थिर नहीं रहता वह बदलता ही है।
आपका अपना 
सुनील शर्मा 
जय हिंद 
जय भारत। 



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