गतिशीलता ही जीवन

प्रिय पाठक गण,
      सादर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, 
आज का मेरा विषय है, गतिशीलता ही जीवन है। जीवन में अगर गति न हो तो जीवन का अर्थ ही नहीं है, बगैर गतिशीलता के जीवन की कोई सार्थकता नहीं होती है।
       हम सभी के पास सोचने समझने की सामर्थ्य है।हम हर प्रकार से देख-परख कर  ही अपने कदम आगे बढ़ाते हैं।
जितना अधिक हम भीतर से चैतन्य होंगे, उतनी ही अधिक
हमारे सफल होने की संभावना है, हम सभी का जीवन अपार संभावनाओं से भरपूर है, हम अपने समय का उपयोग किस प्रकार व कैसे कर रहे हैं, उसके आधार पर ही हम जीवन में आगे बढ़ते  हैं। 
हमारे अनुभव जितने अधिक होंगे, उतने ही अनुभव के आधार पर हम उसे और अग्रसर हो जायेंगे, जिस और हमें वास्तव में जाना चाहिये। जितनी आंतरिक जागृति हमारी होगी, उतनी ही हमारी 
समस्याएं आसान हो जायेगी। हमारी गतिशीलता ही हमें अन्य सभी से अलग करती है, पर हमें यह समझना आवश्यक है कि हम किस और गति कर रहे  हैं, हमारी आंतरिक जागृति जितनी अधिक होगी, परिणाम उत्तम होगेै।
       हम स्वयं भी जो  कार्य कर रहे हैं, उसके परिणाम से हम भी परिचित होते  हैं, कौन सा कार्य हमें करना चाहिए अथवा नहीं, हमें इसका पूर्णतया बोध होता है, अगर हम स्वयं ही गलत राह का अनुसरण करते हैं तो अन्य कोर्स मार्ग पर जाने से कैसे रोक सकते
हैं, सबसे पहले जवाबदारी हमारी स्वयं की सही दिशा की ओर अग्रसर होने की होती है, परिस्थितियों विपरीत होने पर भी जो अपने ध्येय को नही छोड़ता, अपने सही लक्ष्य की और निरंतर संधान करता है, यह प्रकृति आज भी उसकी मदद करती है। 
      सबसे पहली जवाबदारी हमारी अपने लक्ष्य को निर्धारण करने की होना चाहिये, हमें जीवन में क्या व क्यों करना है, इस बात का सही उत्तर हमें संत , ग्रंथ, हमारा स्वयं का स्वाध्याय या
या इन तीनों ही बातों का उचित सम्मिश्रण हमें सही दिशाबोध प्रदान करता है।
     कौन सा कर्म करने योग्य व कौन सा त्यागने योग्य है।
यह निर्धारण हमें ही करना होगा। जैसे ही हम अपने जीवन को सही दिशा या गति प्रदान करते है, स्वयं वह बड़ा प्रकृति भी आपके साथ-साथ आपका कार्य करने को उद्यत हो उठती है ।
परमात्मा ने हम सभी को समान ही अवसर प्रदान किये हैं , मगर हम अपने आप को सही दिशा प्रदान नहीं करते, और यहीं से आपकी चयनो है प्रक्रिया में होने पर आपको अपेक्षित परिणाम नहीं प्राप्त होते हैं।
    जीवन में लक्षण का निर्धारण हम स्वयं करें, क्या करना है? 
कैसे करना है? विचार पूर्वक अध्ययन के उपरांत ही निर्णय  ले, जो भी निर्णय ले, दृढ़ता पूर्वक उस पर अमल अवश्य करें।
निश्चित ही परिणाम बहुत ही बेहतर प्राप्त होगे 
आपकाअपना 
सुनील शर्मा 
जयभारत 
जय हिंद ।

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