सादर वंदन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
मेरी यह प्रवाह यात्रा आप सभी के हृदय को निश्चित ही छू रही होगी।
इसी क्रम में आज का विषय है सफलता का रहस्य।
इसका सर्वप्रथम रहस्य तो यह है कि हम अपने जीवन में जो भी कार्य करना चाहते हैं, उसमें हमारी पूर्ण अभिरुचि अवश्य हो, इसका मुख्य कारण यह है कि वह कार्य आपकी अभिरुचि का है,
तो आप अपने समय की भी परवाह न करते हुए उस कार्य को अवश्य करेंगे।
द्वितीय, हमें हमारे लक्ष्य निर्धारण करने में स्पष्टता बरतना चाहिए, हमें क्या करना है? क्यों करना है? हम जो कार्य कर रहे हैं, हमें उसके परिणाम के बारे में अवश्य बोध होना चाहिये, तभी हम सही दिशा बोध होने पर उस कार्य को करेंगे वह निश्चित ही हम सफलता का ही वरण करेंगे।
हमें अपने लक्ष्य, जो भी हमने स्वयं निर्धारित किये हैं, पूर्ण स्पष्टता पूर्वक उन पर कार्य करना चाहिये, तभी परिणाम भी सटीक प्राप्त होंगे।
किसी अन्य की देखा अच्छी चीजों का अनुसरण न करें, अपने लक्ष्य को अपनी आंखों के सामने रखें, वह आपको हमेशा प्रेरणा प्रदान करते रहेगा।
अपने लक्ष्य को आप लिखकर रखें, उनमें प्राथमिक, आवश्यक क्या है? इसे अपने सकारात्मक चिंतन द्वारा संचालित
करें।
लक्ष्य चाहे छोटा हो या बड़ा, एक निरंतरता का होना आवश्यक है, निरंतरता होने पर ही हम सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकते हैं।
अन्य कोई उपाय नहीं है, अपने आस-पास घट रहे घटनाक्रम को पूर्ण सजगता पूर्वक अवलोकन करें, सभी बातों को स्पष्ट रूप से समझे, अपने कार्य पर पूर्ण दृष्टि रखें, जो भी कार्य करें, पूर्ण सजगता पूर्वक करें।
सजगता पूर्वक कार्य करने पर ही आपको सफलता प्राप्त हो सकती है।
आप जीवन में जो भी कार्य कर रहे हैं ,पूर्ण ईमानदारी से अवश्य करें, निश्चित ही तब परमपिता परमात्मा भी आपके साथ खड़े होंगे।
हमारी सफलता का रहस्य केवल हमारा दृढ़ निश्चय है, दिल निश्चय के बिना आप किसी भी क्षेत्र में सफल नही हो सकते।
अपनी अभिरुचि, दृढ़ निश्चय वह निरंतरता, यह तीन बातें ही
आपकी सफलता में मुख्य कारक की भूमिका निभाते हैं।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत,
जय हिंद।
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