सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
हम सभी उस परमपिता की ही संतान है, मानव जीवन की उपयोगिता क्या है? क्यों यह अन्य से सर्वश्रेष्ठ है, निश्चित ही जब हम इसका उत्तर खोजने के लिए भीतर की और मुड़ते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि हमारी जो भी विचारधारा है, वह ही हमारे भाई यह जीवन को भी प्रतिबिंबित करती है।
जब हम आचरण व अपनी सोच दोनों में ही अंतर ले आते हैं, तो हमारा जीवन वहीं से पतन की और जाने लगता है। जो हम कहते हैं, जो करते हैं, क्या वह उचित है या अनुचित, इसका जो हमें बोध कराती है, वह हमारी आंतरिक प्रज्ञा ही है।
बस इसी एक स्तर पर हम पृथ्वी के अन्य सभी प्राणियों से अलग है, यही दिशा हमें अन्य से अलग करता है।
हमारे भीतर की आंतरिक ऊर्जा जब तक सही दिशा की ओर परिवर्तित नहीं होती, तब तक हम मानव कहला ही नहीं
सकते, मनुष्य जन्म होना ही अपने-आप में एक उपलब्धि है,
मनुष्य जन्म की जो आंतरिक दिव्यता है, वही असल जीवन है,
हम चाहे जिस दिशा की और अपने आप को मोड सकते हैं, यहीं पर आकर हम माननीय श्रेष्ठता की और अग्रसर होते है।
जब हम नैतिक मूल्यों पर खड़े होते हैं, उसे समय हम सबसे अधिक ताकतवर होते हैं, जैसे ही हम उन मूल्यों से जीवन को
हटाते हैं, इस समय हमारा क्षरण प्रारंभ हो जाता है।
मानव जीवन की सर्वश्रेष्ठता तब ही है, जब हम अपना स्वयं का जीवन तो आनंदपूर्वक जीते हैं, साथ में सभी को इस प्रकार का आनंदमय व बोधपूर्वक जीवन जीने के लिये प्रेरित करते हैं।
आत्म मंथन करते हुए हम अपने जीवन को तो मानवीय दृष्टिकोण से समझे व अन्य सभी को ईस और प्रेरित करें।
जिस प्रकार हम एक ईश्वर के बनाए हुए हैं, उसी की कृपा हम सभी को प्राप्त हो रही है, इस दिव्य परमात्मा की दिव्य शक्ति हम सभी में समाहित है, वही दिव्यता ही हमें सन्मार्ग पर ले आती है,
देंवीय गुण जब हमारे भीतर प्रविष्ट हो जाते हैं, हमारा जीवन दैदीप्यमान हो उठता है।
चिंतन करते हुए जब हम मानवीय मूल्यों को जीवन की आधारशिला बना लेते हैं, हमारी आंतरिक सर्वश्रेष्ठ ऊर्जा का हमारे भीतर जागरण हो जाता है, और वही जागरण हमें दिशाबोध प्रदान करता है।
यही मानव जीवन की सर्वश्रेष्ठता का हमें बोध कराती है, इसी एक बिंदु पर हम अन्य सभी प्राणियों से अलग है, वैचारिक बिंदु पर, आइये मंथन करें, स्वयं पहले आचरण करें, फिर उसे आचरण को परिवार के अंदर दृढ़तापूर्वक उतारे और अंत में समाज की और इसी आचरण को ले चले, जब आचरण की दृढ़ता हमारे भीतर होगी, अपने आप ही एक आंतरिक दृढ़ता का अनुभव हम करेंगे।
विशेष:- मानव जीवन की सर्वश्रेष्ठता इसी में है, अपना जीवन हम
सहज रूप से जिये व अन्य को भी इसके लिये प्रेरणा प्रदान करें।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत
जय हिंद।
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