अंतर्यात्रा भाग 18

प्रिय पाठकगण ,
सादर नमन ,

आप सभी का दिन शुभ व मंगलमय हो ,इन्हीं शुभकामनाओं के साथ आइए चलते हैं अंतर्यात्रा के अगले पड़ाव पर आज हम बात करेंगे जीवनचर्या की, जीवन को किस प्रकार जिए ।

कुछ सूत्र जीवन को जीने के अवश्य बनाएं जो मेरी समझ में आया ,उस में सबसे महत्वपूर्ण है समय व उसकी कद्र ।आप देखिए जो व्यक्ति अपने समय की कद्र नहीं करता ,वह कभी भी कोई भी कार्य सही तरीके से नियोजित नहीं कर सकता ।

समय को अपने रोज की जीवन शैली में इस प्रकार डाले कि जिस में सर्वप्रथम स्वयं के स्वास्थ्य व अपने इष्ट की आराधना का समय अवश्य निकाल आप जिस भी शक्ति पर आस्था रखते हैं उस निराकार या साकार की उपासना व प्रार्थना का समय अवश्य निकाले ।
यह आपको मनोबल प्रदान करेगा ,द्वितीय है अपने कार्य को जो भी आप करते हैं ,नौकरी या व्यवसाय समय पर वह मन लगाकर पूर्ण आस्था से अपने कर्म को करें ।

कुछ समय अपने परिवार के लिए भी निकालें ,कुछ समय समाज की सेवा हेतु निकाले आप देखेंगे कि इस प्रकार के सही समायोजन से आप स्वयं को सदा ही स्फूर्ति का उत्साह से परिपूर्ण पाएंगे ।याद रखिए लक्ष्यहीन जीवन हमें कहीं का नहीं रखता जीवन में कुछ ना कुछ छोटे छोटे लक्ष्य जरूर तय करें व उनका पालन पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से करते चले ।

लक्ष्य जीवन में हमेशा बड़ा ही चुने फिर उसके लिए आवश्यक तैयारियों पर ध्यान दें व अपने संपूर्ण मनोबल को उस लक्ष्य की ओर मोड़ दे ,आप पाएंगे कि आप लक्ष्य के काफी पास में है ।धैर्य पूर्वक दिशा तय करें वह पूर्ण लगन से उसे करें ,आपकी जीत अवश्य होगी

सदा सकारात्मक चिंतन के साथ दिन की शुरुआत करें, हो सके तो सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठने का अभ्यास करें, यह आपकी मानसिक व शारीरिक दोनों ओर से सबलता प्रदान करता है सुबह जल्दी उठने से आपके पास समय भी अधिक होगा इस प्रकार अपनी जीवन चर्या को बनाएं जिसमें कुछ समय स्वयं के लिए फिर क्रमश में व्यवसाय या नौकरी परिवार व समाज इस प्रकार से अपने समय को समायोजित करें ।

विशेष :-समय का सदुपयोग ही सबसे बड़ी पूंजी है याद रखें बीता समय कभी भी लौट कर नहीं आता है समय बंधुता का अवश्य ध्यान रखें यह आपको जीवन में आगे की और बढ़ाता है

आपका अपना,
सुनील शर्मा।

0 टिप्पणियाँ: