अपार क्षमता

प्रिय पाठक गण,
     सादर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, 
    प्रवाह की इस मंगलमय व अद्भुत यात्रा में 
आप सभी का स्वागत है।
      आज हम बात करेंगे, मनुष्य की अपार क्षमताओं के बारे में, हर मनुष्य को अपने-अपने जीवन में परमात्मा ने समान अवसर दिये, फिर क्या कारण है? कोई हमें सफल होता दिखता है, कोई असफल। 
        अगर हम विश्लेषण करे तो पायेंगे, कोई भी व्यक्ति, जो अपने जीवन में सफलता का शिखर छूना चाहता है, तो सबसे प्रथम तो उसके जीवन का मुख्य उद्देश्य क्या है? 
      जब तक यह वह स्वयं तय नहीं करता, कोई और भी किस प्रकार से उसकी मदद करेगा?
      प्रथम संवाद हम अपने आप से करें, 
हमने क्या लक्ष्य तय किया? और जो भी लक्ष्य तय किया कितनी ईमानदारी व पारदर्शिता से हम कार्य कर रहे हैं? कौन क्या कर रहा है? 
इससे विचलित न हो?
        आप अपने परिदृश्य में, परिवेश में, आपके पास जो भी साधन उपलब्ध है, उनसे आप कितना युक्तियुक्त सही इस्तेमाल उन साधनों का करते हैं। 
             हम सभी की सोच व समझ अलग-अलग होती है, मगर हम एक बड़े परिप्रेक्ष्य में अगर  समझे, तो हम पाएंगे, मानव में अपार क्षमता होती है, मगर वह अपनी क्षमताओं का कितना बेहतर इस्तेमाल करता है, उसका लक्ष्य क्या है?
       अगर हम पूर्ण ईमानदारी पूर्वक किसी भी लक्ष्य को धारण करते हैं, तो फिर उसे पाने का प्रयास भी अवश्य ही करेंगे।
      हम सभी को जीवन में हमेशा ही दुविधा 
यह होती है, हम अपने वास्तविक लक्ष्य  व जमीनी हकीकत दोनों का सही समन्वय नहीं कर पाते।
     हमें जीवन में दो प्रकार के  लक्ष्यों  को लेकर चलना चाहिये, यह मैं मेरे निजी अनुभव के आधार पर कह रहा हूं, हो सकता है आपका मत इससे भिन्न हो।
       आप कितने भी अच्छे इंसान हो, जमीनी हकीकत, वास्तविक स्थितियों को कभी भी 
नजर अंदाज नहीं करें। 
     वर्तमान समय को सही तरीके से परखे, 
सबसे अधिक महत्वपूर्ण आपको क्या लगता है ,अपनी परिस्थितियों अनुसार उस पर विचार करें व फिर उस पर कार्य करें।
      जीवन में दो लक्ष्य यानी आध्यात्मिकता व भौतिकता दोनों का उचित संतुलन जीवन में अवश्य करें, मात्र आध्यात्मिक हो जाने से आप गृहस्थ जीवन में है, आपका कार्य नहीं हो सकता, भौतिकता की और अधिक झुकाव होने से भी आप मानसिक रूप से परेशान हो सकते है, जीवन में इन दोनों ही लक्ष्यों को समान रूप से महत्व प्रदान करें।
       और हम मात्र आध्यात्मिक उन्नति पर ध्यान देंगे तो हमें मानसिक शांति तो प्राप्त  होगी, मगर केवल उससे जीवन यापन नहीं हो सकता, यहां पर हमें भौतिक साधनों व धन की आवश्यकता होगी, वहां पर वे ही कार्य  करेंगे, जब तक हम दोनों को समान महत्व नहीं प्रदान करते, हम हमेशा तकलीफ में होंगे।
      वर्तमान समय में भौतिकता का ही बोलबाला है, तो हमें भौतिक साधन तो जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये 
जुटाना हीं होंगे।
        अब हम देखते हैं, जीवन का आध्यात्मिक पक्ष, तो हमें आंतरिक शांति जीवन में किसी की मदद करके ही प्राप्त होंगी, हम अपना जीवन यापन करने के 
साथ -साथ किस प्रकार से अन्य लोगों की बेहतरी के लिये भी कार्य कर सकते हैं, वह आपके आध्यात्मिक पक्ष को मजबूती प्रदान करता है।
     हमें अपने जीवन में दोनों ही पक्षों में संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है। 
    किसी भी एक का आवश्यकता से अधिक होना हमें परेशान कर सकता है, अतः एक संतुलित मार्ग अपनाना आवश्यक है।
     जीवन में अपने मूल लक्ष्यों को पहचाने ,
आपके भीतर से क्या अधिक प्रिय है? आप किन बातों में सुकून या शांति महसूस करते हैं, उन पर अपने जीवन में कार्य अवश्य करिये।
    हम सभी यात्री हैं, जिंदगी एक सुंदर सा सफर है, अवरोधों से कभी न घबराये, वे अवरोध ही आपकी ताकत भी है, उनसे धैर्य पूर्वक हम पार पाये।
    लक्ष्यों को पहचाने, हम सभी अपार क्षमताओं के मालिक हैं, जब हम अपनी संपूर्ण ऊर्जा किसी भी लक्ष्य पर लगाते हैं, 
तो निश्चित ही परिणाम आपके ही पक्ष में होंगे। 
      भीतर से कोई चीज आपको बारंबार पुकार रही है, तो समझिये, आपकी चेतना आपसे क्या कह रही है? 
 विशेष:- हमें स्वयं अपनी अपार क्षमताओं को पहचानना होगा, स्वयं का आकलन करें, हमारी जो भी विशेषता है, वह क्या है? उस गुण -विशेष पर अपना कार्य करें, निश्चित ही हम सभी में अपार संभावनाएं छुपी हुई है, 
बस हमें अपना लक्ष्य ठीक ढंग से पहचानना
 है, व संपूर्ण ईमानदारी से उस पर कार्य करना है।
आपका अपना 
सुनील शर्मा 
जय भारत, 
जय हिंद, 
वंदे मातरम।


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