एक युग का अंत (समसामयिक)

प्रिय पाठक गण,
     सादर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, 
 प्रवाह में आज चर्चा का विषय है, सदाबहार
अभिनेता धर्मेंद्र जी का स्वर्गवास, 
        अभिनेता धर्मेंद्र ने शुरुआत से ही कड़ी मेहनत की, वे उसे दौर के अभिनेता थे, जब कई नामी सितारे उनके सामने थे, दिलीप कुमार, राज कपूर जैसे दिग्गज अभिनेता उनके सामने थे, उस समय जब शारीरिक गठन की और किसी अभिनेता का इतना ध्यान नहीं था, उन्होंने अपने शरीर पर भी पूरा ध्यान दिया, वे परदे पर बलशाली नजर आते थे, और इसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत थी,
वे अपनी जवानी के दिनों में बहुत ही खूबसूरत नजर आते थे, 
          उनकी फिल्म " फूल और पत्थर" जिसने भी देखी होगी, वह इस बात की गवाही देगा, उस दौर की लोकप्रियअभिनेत्री मीना कुमारी के साथ उनकी इस फिल्म में जोड़ी थी।
       कई अभिनेताओं के सामने होने के बाद भी अपने दमदार अभिनय, खूबसूरती व लगातार मेहनत की बदौलत उन्होंने फिल्मों में शिखर को छुआ, मगर इन सब के बीच उन्होंने अपने मूल व्यक्तित्व को, जो की एक जिंदादिल इंसान होने का था, उसे कभी नहीं गंवाया। 
         फिल्म शोले में जय- वीरू की जोड़ी के रूप में जो ऐतिहासिक फिल्म बनी, वह आज भी उस दौर की यादें ताजा कर देती है, और अपने दौर की बहुत सफलतम फिल्म थी, व आज भी है।
           वे सदाबहार अभिनेता रहे, उन्होंने गंभीर, चुलबुले, रोमांटिक, अल्हड़, आक्रामक 
अपने फिल्मों के सभी किरदारों को बड़ी ही खूबसूरती से निभाया।
          अपने संपूर्ण जीवन में  जो उनकी विशेषता रही, वह यह कि उन्होंने अभिनेता के तौर पर ही नहीं, एक विराट व्यक्तित्व के रूप में अपने आप को जिया। 
    उन्होंने दो विवाह किये, मगर फिर भी दोनों ही परिवारों के बीच सामंजस्य  बनाकर वह चले, उनका  व्यक्तित्व एक ऐसे रूप में हमारे सामने आता है, जो चकाचौंध की दुनिया में भी अपने मूल व्यक्तित्व को बरकरार रख सका, उनकी यही खूबी उन्हें अपने समकालीन अभिनेताओं से अलग एक मुकाम देती है। 
       वे अपनी उम्र के इस पड़ाव पर भी लगातार सक्रिय रहे, और उनकी लगातार सक्रियता ने  ही उन्हें उस पायदान पर पहुंचाया,
जहां से वे  हमेशा अपने चाहने वालों के चहेते बने रहेंगे।
       उन्होंने लगातार सक्रियता पूर्वक जीवन जी कर यह बताया की उम्र एक पड़ाव हो सकती है, मगर जिंदादिली वाला स्वभाव ही 
उनकी ताकत था, इतने बड़े मुकाम पर 
पहुंचने के बाद भी उनकी सरलता, सौम्यता व सादगी, उनका ठेठ ग्रामीण परिवेश, अपनी माटी से अंत तक लगाव उनकी शख्सियत में मानो चार चांद लगा देता है। 
             उनके निधन के साथ ही एक ऐसे सदाबहार अभिनेता कभी अंत हो गया, जो अपने निजी जीवन में भी बडे ही जिंदा दिल रहे, उनका निधन भले ही हो गया, मगर वे अपने चहेते दर्शकों के दिलों पर हमेशा राज करेंगे। 
           उन्हें सादर नमन, एक अभिनेता के रूप में आपने जो प्रसिद्धि हासिल की, लोगों
का स्नेह व प्यार पाया, वह बहुत ही कम लोगों के नसीब में होता है।
       पुनः ऐसे अभिनेता सदियों में होते हैं,
जिनका व्यक्तित्व भी इतना विराट हो, वह हमेशा अपनी माटी से जुड़े रहे, यही उनकी सबसे बड़ी खासियत भी थी, उन्होंने अपने पूरे परिवार को भी एकजूट रखा।
        ऐसे अभिनेता, जो हमेशा याद  रहेंगे,
अलविदा। 
  विशेष:- फिल्मी पर्दे पर ही नहीं, उन्होंने अपने निजी जीवन को भी पूर्ण गरिमा से जिया, बेशक ,उन्होंने दो विवाह किये, मगर दोनों ही रिश्तों को उन्होंने पूर्ण शिद्दत से निभाया, वे  एक शानदार अभिनेता और एक सदाबहार व्यक्तित्व के मालिक थे, सभी दर्शकों की ओर से उन्हें सादर नमन। 
आपका अपना 
सुनील शर्मा 
जय भारत, 
जय हिंद, 
वंदे मातरम।

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