मन के हारे हार मन के जीते जीत

प्रिय पाठक गण ,
सादर वंदन
आप सभी को मेरा मंगल प्रणाम, पुनः हम अपनी मुख्यधारा के विषयों की ओर चलते हैं, आज का विषय प्रेरणात्मक लेख है, विषय है ,मन के हारे हार मन के जीते जीत।
जैसा की इन पंक्तियों में लिखा है,अगर हम अपने मन में निरंतर सकारात्मक भाव को यह स्थान देंगे, तो अंतत हमारी प्रकृति सकारात्मक मनोभाव वाली हो जाएगी, जिसका सबसे अच्छा परिणाम हमारे स्वयं के व्यक्तित्व पर पड़ेगा। हम किसी भी परिस्थिति में अपना मनोबल बनाए रखेंगे वह हमारा हौसला खत्म नहीं होगा।
विभिन्न परिस्थितियां विचार व्यक्ति माहौल सभी से हमारा सामना होगा,पर हम हमारी मानसिक सकारात्मकता के कारण शीघ्र ही उन सभी से संघर्ष करते हुए अंतत अपनी मंजिल को पा लेंगे।
यदि हमारी कोई विचारधारा हम अपने भीतर चला रहे होते हैं,वह अत्यंत ही शक्तिशाली स्वरुप में हमारे भीतर घर कर चुकी होती है, अतः हमें हमारे विचार संप्रेषण को अत्यंत शक्तिशाली भीतर से बनाना होगा, तो वह शक्तिशाली स्पंदन हमें अपनी मानसिक दृढ़ता पर बने रहने में हमारी मदद करेगा।
यही इन पंक्तियों का असल भावार्थ है।
परमपिता परमेश्वर सबका मंगल करें, यही सुंदर भाव मेरे इस ब्लॉग को लिखने का मुख्य उद्देश्य है। मैंने जीवन में जो भी अनुभव किया है, वह मैंने मेरे लेखों में शब्दों में पिरोया है,इन शब्दों को पढ़कर अगर कहीं किसी के जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है तो वहीं मेरे लेखों की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।
विशेष:-परिस्थितियां कितनी भी विपरीत क्यों ना हो जीवन में अपना मनोबल हमेशा बनाए रखें, याद रखें समय चक्र तो हमेशा बदलता ही रहता है,अपने श्रेष्ठ नियम व कर्म कभी न छोड़ें निश्चित ही अंत में परिणाम आपके पक्ष में ही होंगे।
यदि शुभम भवतु
आपका अपना
सुनील शर्मा

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