समसामयिक (पहलगाम पर विशेष)

प्रिय पाठक गण,
           सादर नमन, आप सभी को मंगल प्रणाम, 
पहलगाम में जैसी कायर ना हरकत आतंकवादियों ने की है, 
इस घटना की जितनी भी करें शब्दों में निंदा की जाये ,कम है ।
      इस घटना की तह में जाने से पहले कुछ परिदृश्य पर विचार करें, आज हमारा देश एक सतत परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, 
यह परिवर्तन राजनीतिक व सामाजिक स्तर पर होते ही जा रहा है,
हमारा देश एक पुनर्गठन की प्रक्रिया से गुजर रहा है, यहां पर देवी बांसुरी शक्तियों के बीच एक संग्राम चल रहा है, इस सामाजिक परिवर्तन की पदचाप की  हमें सुनाई पड़ती है, देश का वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व पूर्ण सजग है। 
             इस बात में किसी को संदेह नहीं है, ऊपर से लीडर एक अच्छा संदेश देते हैं, लेकिन निचले स्तर पर उनकी बात को किसी दूसरी तरह से जो परिभाषित कर दिया जाता है, वह ठीक नहीं है। 
हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रजी मोदी स्वयं  कई मंचों से संपूर्ण देश की जनता को संबोधित करते हुए संवाद करते हैं, मगर निचले स्तर पर उसका गलत ध्रुवीकरण स्थानीय नेतृत्व द्वारा कुछ अलग ढंग से या अपनी निजी शैली में ढाल दिया जाता है, जो कि प्रधानमंत्री जी की मूल भाषण से कुछ अलग हो जाता है, इस और अगर सर्वोच्च स्तर पर बैठे नेतृत्व की निगाह अगर पैनी होगी तो वह इसे देख सकेंगे।
       धारा 370 वह स्वच्छता अभियान मोदी जी की स्वर्णिम उपलब्धि रही है, बस एक कदम और जो भी भ्रष्टाचार वाले राजनेता या अफसर है उधर भी आप कड़ी कार्रवाई करें, चाहे वे किसी भी डाल के ही क्यों ना हो, उधर भी आप कड़ी कार्रवाई करें, मैं इस संदर्भ में इसलिए जोड़ रहा हूं की वर्तमान राजनीतिक जो नीतियां है, वह ऊपरी नेतृत्व तो सही चाहता है, मगर धरातल पर आते-आते उसका स्वरूप विकृत हो चुका होता है।
            पहलगाम की घटना में यह कहना चाहूंगा समस्त राष्ट्र आपके साथ खड़ा है, सरदार वल्लभभाई पटेलजी सी दृढ़ता का परिचय इस समय मोदी जी से है, वहां पर सेना को पूर्ण रूप से नियंत्रण तब तक के लिए दे देना चाहिये, जब तक की कश्मीर घाटी से आतंकवाद का पूरी तरह से सफाया नहीं हो जाता,
इसके लिए उच्च स्तर पर उमर अब्दुल्ला जी की सरकार को भी
विश्वास लेकर, स्थानी जनता से भी संवाद करके कुछ बहुत ही कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। 
          मेरे निजी विचार में राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत पर कार्य करते हुए वहां के स्थानीय प्रशासन, सीमा सुरक्षाबलों व सेना तीनों के बीच एक समन्वय बनाकर इसका नेतृत्व से ना करें, और यह आज का राजनीतिक नेतृत्व तय करें।, आवश्यक हो तो आज संपूर्ण देश  में इस प्रकार की बात को सही ढंग से प्रसारित कर तुरंत सभी की राय भी जानी जा सकती है, मेरे विचार से  संपूर्ण देशवासी मेरी इस बात से सहमत होंगे। 
        इस चर्चा में सभी विपक्षी दलों का भी नैतिक समर्थन निश्चित ही प्राप्त होगा।
      विपक्षी दलों से भी विनम्र निवेदन इस घड़ी में सरकार के कड़े निर्णय का पक्ष ले वह राष्ट्रीय हित में संपूर्ण समर्थन करें, हमारे देश कि यह अंदरूनी ताकत रही है, इस मौके पर दलगत राजनीति से हटकर सभी विपक्षी दल सरकार का समर्थन करें, ताकि इस देश से संपूर्ण रूप आतंकवाद का सफाया हो सके, ताकि फिर किसी देशद्रोही तत्वों का इस प्रकार की घटना को अंजाम देने की कल्पना भी वह न कर सके। 
     पुनः आप सभी से निवेदन, संपूर्ण देशभक्त नागरिकों से भी निवेदन कि मेरी इस मुहिम का समर्थन करें, राष्ट्रीय हित में यह आवश्यक भी है।
       कश्मीर घाटी में सेना को कार्रवाई का पूर्ण अधिकार मिलना चाहिये।
 जय हिंद 
जय भारत ।

0 टिप्पणियाँ: