सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम, जीवन की इस यात्रा में हम सभी सफर पर हैं, हमारा सफर कैसा हो या कैसा है?
इसके लिए सबसे अधिक जवाबदेही तो हमारी स्वयं की है।
जब तक हमें स्वयं इस बात का बोध नहीं होता, और कोई भी हमें वह बोध कैसे देगा, हम सभी के जीवन में खट्टे -मीठे अनुभव तो
आते ही है, अनुभव को हम अगर जीवन जीने के सूत्रों में परिवर्तित कर सके तो ही हमारे जीवन में आंतरिक व बाह्य दोनों
ही समृद्धि आ सकती है।
जीवन में हर समय हमें अपनी प्राथमिकताओं का चयन
करना ही होता है, जो भी समय रहते ही उन बातों का उचित निदान ढूंढ लेता है, वही अपने जीवन में आगे बढ़ते जाता है,
समय अनुकूल क्या अधिक महत्वपूर्ण है, यह जान लेने के बाद उस पर अमल करना, यह ज्यादा जरूरी है।
हम जहां पर भी, जिस भी परिस्थिति में रह रहे हैं, वहां हम अन्य सभी से किस प्रकार से समन्वय करते हैं, वह अधिक जरूरी है। हमें अपने कुछ जीवन मूल्य अवश्य बनाना चाहिये, क्योंकि वही जीवन मूल या ही आपके रक्षण का कार्य करते हैं, कालक्रम से सब कुछ स्वमेव ही घटता जाता है, बस हमें साक्षी भाव से खड़े रहना है।
मानवीय मूल्यों को प्रथम स्थान दे, द्वितीय जहां हम रहते हैं,
समन्वय व सहभागिता की कोशिश अवश्य करें, चीजों को सुलझाने का प्रयास करें, अगर आप ईमानदारी से कोशिश कर रहे हैं, तो कभी भी विफलता नहीं मिलेगी, सफलता ही हमारे कदम चूमेगी।
समस्या कोई भी हो, समाधान अवश्य होता है। समस्याओं से जूझना सीखें, न कि हम उनसे भागे, किसी भी समस्या का कोई न कोई समाधान अवश्य होता है, उन समाधानों पर ही ध्यान केंद्रित करे। अगर आप ध्यान पूर्वक अवलोकन करें तो पायेंगे, हम जितना समझ रहे थे, समस्या उतनी गहरी भी नहीं है।
स्वयं भी खुश रहे, तो आपके आसपास भी प्रसन्नता का वातावरण होगा। बगैर किसी भी उद्देश्य के जीवन बिताना तो जीवन को ढोना ही है , उद्देश्य पूर्ण जीवन हमें ऊर्जा प्रदान करता है।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत
जय हिंद।
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