जीवन का संतुलन

प्रिय पाठक गण,
       सादर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, 
      हम सभी के जीवन में संतुलन आवश्यक है, और वह संतुलन हमें जीवन के हर क्षेत्र में साधना होता है।
    जीवन जीने के लिए सबसे मुख्य आधार है, हमारी सही सोच,
कुछ ऐसे व्यक्ति हमारे जीवन में अवश्य हो, जो हमारे हर सुख-दुख के समय में साथ में हो, इसके लिये पहली पहल हमें स्वयं ही करनी होगी, सकारात्मक चिंतन व वातावरण के द्वारा, हम केवल अकेले ही जीना चाहें तो यह संभव भी नहीं, प्रकृति से हम सीख सकते हैं, वह किस प्रकार से संतुलन द्वारा चलती है। इस प्रकार का हमारा मानव जीवन भी है, जिसमें हमें आर्थिक, सामाजिक,
नैतिक, भावनात्मक इन सभी का एक उचित संतुलन बिठाना होता है।
       जीवन का संतुलन हम निरंतर प्रयास द्वारा ही प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए हमें मननशीलता व चिंतन को हमारे जीवन में प्रवेश देना होगा। जीवन जैसे -जैसे आगे बढ़ता है, हमारी प्राथमिकताओं में अन्तर आने लगता है, समय अनुकूल परिवर्तन भी आवश्यक है, मगर वह परिवर्तन आखिर कितना? क्या वास्तव में वह परिवर्तन जीवन के संतुलन के लिये आवश्यक है, या वह परिवर्तन आवश्यक नहीं है? 
          इस बात का गहरा बोध ही हमें अपने दायित्वों के प्रति भी सचेत करता है। ईश्वर की शरण में जाने का यह अर्थ नहीं कि हम अपने कर्तव्यों की अनदेखी करें। हमें अपने कर्तव्य -पथ पर तो चलना ही है। संतुलन जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू हैं,
इस साधे बिना हम जीवन को सही गति नहीं प्रदान कर सकते। 
        इसको हम इस प्रकार से समझे, बढ़ती उम्र में हमारा स्वास्थ्य प्राथमिक हो जाता है, अन्य बातें उतनी महत्वपूर्ण नहीं 
होती, जीवन में आर्थिक संतुलन भी उतना ही आवश्यक है, क्योंकि धन का भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है।
      कुल मिलाकर हम सभी का जीवन अनेक प्रकार की अनिश्चितताओं से भरा होता है, जब जीवन में अनिश्चितता इतनी है, तो हमें अपने स्वयं के कुछ सही नियम व दायरे तो बनाना ही होंगे। हम जितनी सटीकता से इस बात का विश्लेषण करेंगे, इतनी ही गहराई से हमें इसका फल भी प्राप्त होगा। 
विशेष:- हम सभी के जीवन में संतुलन अत्यंत आवश्यक है, वैचारिक संतुलन, आर्थिक संतुलन, व्यवहारिक संतुलन इस प्रकार हम अपने जीवन में इन तीनों ही बातों का अगर उचित समन्वय करेंगे, तो हमारी जिंदगी आनंदपूर्वक गुजरेगी।
आपका अपना 
सुनील शर्मा 
जय भारत 
जय हिंद।



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