सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम, हम सभी को ईश्वर ने झान प्रदान किया है, समझ दी है, हमारा हित-अहित किसमें है, यह गहरी समझ सभी के पास है।
अब मूल विषय पर आते हैं, मेरा आज का विषय है, वर्तमान से भविष्य, वर्तमान में आप क्या कर रहे हैं, वही आपके भविष्य का निर्माण करती है।
समयबद्धता, समय पर कार्यों को करना उनमें से एक है, हम जो भी करें, एक निश्चित योजना पूर्वक हमारी स्वयं की जिंदगी को
जिये, ज्ञान व विवेक का पूर्ण अनुसरण करें, सजग रहकर निर्णय करें, अपने निर्णय पर दृढ़तापर्वक अमल करें, उन बातों को नजरअंदाज करें, जो आपके जीवन की प्रगति में बाधक है, सबसे
सहयोगात्मक रूप अपनायें, स्वयं आगे रहकर चीजों को समझने
की ईमानदार कोशिश हमेशा करें, अपने प्रयासों में पूर्ण ईमानदार रहे, किसी भी अन्य विचार को , जो आपकी प्रगति में बाधक है,
जगह न दे, अपने जीवन के निर्णय स्वयं करें, क्या सही है? क्या
गलत है? इसकी विवेचना तो अवश्य करें, पर विवेचना के उपरांत निर्णय भी करें, अनिर्णय की स्थिति में कभी भी न रहे, निर्णय सोच-समझकर करें, जो भी निर्णय ले ले, उस पर दृढ़ता पूर्वक अमल करें।
स्वयं, परिवार व समाज तीनों की ही हम एक इकाई हैं, हम स्वयं तो जीवन जीते हैं, पर परिवार व समाज से भी हम जुड़े होते हैं, ऐसी कोई भी कृत्य जो इन तीनों में से किसी भी इकाई की गरिमा को नष्ट करता हो, वह कार्य किसी भी कीमत पर न करें।
हमें यह याद रखना चाहिये, हम जो कार्य वर्तमान में कर रहे हैं, वही कार्य हमारे भविष्य का निर्माण कर रहा है।
आलस्य को जीवन में स्थान न दें, आलस्य करने वाला व्यक्ति कभी भी जीवन में सफलता को प्राप्त नहीं कर सकता, निरंतर सजगता ही हमें चैतन्य रखती है व ऊर्जा प्रदान करती है।
वर्तमान में रहें, सजग रहे, पूर्ण मनोयोग पूर्वक अपने कार्यों को करें, भविष्य में सफलता पाने का यही एकमात्र आधार है, अपनी योजनाओं पर पूर्ण दृष्टि रखें, उन पर ईमानदारी पूर्वक कार्य करें।
भविष्य के निर्माण का रास्ता वर्तमान में से ही होकर गुजरता है।
विशेष:- अपनी प्राथमिकता तय करते हुए कार्य करें, पूर्ण सजग रहे, भविष्य भी आपकी सफलता की राह देख रहा है।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत,
जय हिंद।
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