सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम, हम सभी के जीवन में आत्म मंथन का अवसर हमें मिलता है, जैसे-जैसे हम जीवन के उत्तरार्ध की और बढ़ते हैं, हमारी परिपक्वता गहरी होती जाती है।
जितनी गहरी हमारी परिपक्वता होती है, उतना ही जीवन का आनंद भी बढ़ जाता है, विभिन्न परिस्थितियों हमारे जीवन में आती है, जाती है, मगर हम निरंतर चलते रहे, तो उन सभी बाधाओं को हम पर कर सकते हैं।
गहराई पूर्वक जीवन को समझे, हमारा जीवन एक सुंदर यात्रा है, इस सफर का आनंद लीजिये, जीवन से भागिये मत, उसे पूर्ण आनंद से जीने का अभ्यास करें, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हमारे अनुभव गहरे होते जाते हैं।
अपनी यात्रा को आप जितनी कुशलता पूर्वक पूरा करते हैं, जीवन में सफर के दौरान सभी प्रकार के अनुभव आते ही हैं,
उनका भी आनंद उठायें।
किसी को भी कुछ कहने से पहले आत्म मंथन करें, क्या उचित है? क्या अनुचित है? विचार पूर्वक समझे, उसे परम पिता का
धन्यवाद करे, जिसने यह सृष्टि -चक्र बनाया।
आत्मबोध के साथ जीवन को जिये, हर क्षण आनंद का अनुभव करें, ईश्वर के प्रगाढ़ प्रेम को भीतर गहरे महसूस करे,
उसकी अनन्य कृपा को भीतर समाने दे, सब कुछ आनंदमय है,
उसे चित्त के आनंद को, उसकी कृपा को , परमात्मा की शक्ति को
निरंतर जागृत हो कर महसूस करें।
हमारे चित्त में उस परमानंद स्वरूप को हम बसा ले, वह जो भी कर रहा है, कुछ तो उसमें भी राज है, अनन्य शरणागति भाव को अपना ले, फिर अपने -आप ही वह स्वयं सारे द्वार खोल देता है।
उसकी अनन्य कृपा को जीवन में अनुभव करें, उसे अपनी नित्य दिनचर्या का हिस्सा बना लें, सब कुछ अपने -आप ही घटता जायेगा, उसकी शरणागति को हम अपना ले।
अपनी दृढ इच्छा शक्ति को हम आधार तो माने, पर वह दृढ़ता भी हमें प्रभु कृपा से ही प्राप्त हुई है, पता उसका नित्य पति स्मरण करते हुऐ परम अहोभाव से, शरणागत होकर समस्त कार्यों को
करें, वह दिव्या सत्ता हमेशा साथ में है, यह अनुभव करें, वह कभी भी आपके साथ कुछ भी विपरीत घटने ही नहीं देगी, ऐसा मन में पूर्ण विश्वास रखें।
उसकी कृपा पर पूर्ण विश्वास करें, जो भी विपरीतता होगी,
वह अपने आप ही चली जायेगी, स्वीकृति का भाव रखें, परमात्मा जो भी घटना घटा रहा है, उसके पीछे का रहस्य केवल वही जानते हैं, और कोई भी नहीं। पूर्ण श्रद्धा वह असीम कृपा को जीवन में
नित्य प्रति अनुभव करें, शरणागति जब प्रभु के समक्ष हम विनय भाव से करते हैं, इस समय से उसकी मंगल कृपा हो जाती है,
आपकाअपना
सुनीलशर्मा
जयभारत
जय हिंद
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