परिस्थितियों से ना हारे

प्रिया पाठक गण, 
    सादर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, 
 जीवन मैं कई बार परिस्थितियों हमारे अनुकूल नहीं होती, लेकिन उसे समय हमें परिस्थितियों से शांत चित्त होकर मुकाबला करना चाहिये।
       ऐसा कभी नहीं होता कि जीवन में विपरीत परिस्थितियों उत्पन्न ही न हो, जीवन है तो परिस्थितियों तो आयेगी ही। 
हमें आत्म बल रखते हुए परिस्थितियों को समझना चाहिये,
     एक ही बार हमें यह मानव जीवन प्राप्त हुआ, अपनी दुर्बलताओं पर हम उच्च मनोबल द्वारा ही जीत सकते हैं 
      एक ही बार हमें यह मानव जीवन प्राप्त हुआ, अपने दुर्बलताओं पर हम उच्च मनोबल के  द्वारा ही जीत सकते हैं।
         उच्च मनोबल विपरीत स्थिति में भी बनाये रखें।
परिस्थितियों कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हो, नित्य नहीं ऊर्जा के साथ उनका सामना करें, क्या समस्या है? 
        वाइस सिटी विपरीत होने पर भी हम मानसिक संबल बनाए रखें, यह आपकी मदद करेगा। समस्त विपरीतताओ में भी हम किस प्रकार कार्य करते है?   हमारा रुख किस प्रकार का है, हम समाधान किस प्रकार निकालते हैं ,वह सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।
हम समस्या को सही प्रकार से समझे, फिर उसके निदान की और अग्रसर हो ।
      जीवन में बगैर घबराए उनका सामना करें, जितना अधिक संघर्ष होगा, उतना ही आपका जीवन शानदार होगा। 
      निरंतर संघर्ष जीवन में करते रहे, कामयाबी के शिखर पर जाने के लिये आपको निरंतर प्रयत्न करना पडता है
    जो भी वर्तमान परिस्थितियों से संतुष्ट होकर बैठ जाता है, वह अपने जीवन में बड़े बदलाव की ओर नहीं जाता।
     बड़े बदलावों के लिए आपको साहसिक फैसले लेने पडते हैं,
बगैर  साहस के आप बड़े बदलाव नहीं कर सकते, बगैर किसी 
की परवाह किए अपने लक्ष्य पर ध्यान दें, क्या आवश्यक है?
इसे समझे, समय बदलता ही है, उचित समय की प्रतीक्षा करें।
पर उचित समय की प्रतीक्षा में हाथ पर हाथ धरे बैठे न रहे 
    कोशिश करते रहे, सफलता अवश्य मिलती है। 
परिस्थितियों का रुख मोड़ने का साहस करें, पलायन वादी न बने,
 विशेष:- परिस्थितियों कैसी भी हो, अगर हम बेहतर सुझबूझ से कार्य करते हैं , तो विपरीत परिस्थितियों भी अनुकूलता में परिवर्तित  हो जाती है, धैर्य रखें, सामना करें, प्रतिकूलता को अनुकूलता में परिवर्तित करें।
आपका अपना 
सुनीलशर्मा 
जय भारत 
जय हिंद

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