सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
परमपिता परमेश्वर सभी का कल्याण करें,
वर्तमान से हमारे भविष्य का निर्माण, जो भी अपने वर्तमान क्षणों का साक्षी बन सका, वह आंतरिक आनंद को प्राप्त कर लेता है।
समय की बहती धारा में वर्तमान का सदुपयोग करें,
जिसे वर्तमान क्षण की पूर्णता को, उस ऊर्जा को महसूस कर लिया, वर्तमान में ही मंगल कामना से भरे विचारों को जिसने भी जीवन में स्थान प्रदान किया, उस पर परमात्मा की मंगल कृपा बरसने लगती है, उसकी कृपा तो नित्य है, निरंतर है, वह तो जल की धारा है, अन्य कृपा को प्राप्त करने के लिए हमें वर्तमान समय काल में ठहरना होगा, इस एक उपाय के सिवाय सब उपाय व्यर्थ है। वर्तमान क्षण में ठहरने पर हम में एक अद्वितीय ऊर्जा का संचार होता है।
ऐसी ऊर्जा, जो कभी भी क्षीण नहीं होती, परम ऊर्जा परमेश्वर से प्राप्त करिये, अपने सारे कर्म उन्हें अर्पण कर दें।
अच्छा- बुरा, पाप-पुण्य , राग -द्वेष , यह सब हमारे सांसारिक द्वंद है, जो भी करें, होश पूर्वक, सोच समझकर फिर कार्य करें,
वर्तमान को संवारे, वर्तमान क्षण पर पूरा ध्यान रखें, अपने स्वाभिमान को हर कीमत पर जीवित रखें, जीवंत ऊर्जा से भरपूर रहे, जिसने भी वर्तमान को सही तरीके से समझा, उस पर कार्य किया , वर्तमान की अवहेलना न करें, उन क्षणों को भीतर महसूस करें, साक्षी भाव से उस अस्तित्व को महसूस करें, मौन को गहराई से भीतर उतरने दे, वर्तमान क्षणो का इन पलों का आनंद महसूस करें।
वर्तमान में रहे, सजग दृष्टि रखें, अपने व्यक्तित्व की गरिमा
बनाए रखें, जिसने भी वर्तमान को सही अर्थों में महसूस किया,
उसे परम ऊर्जा का साक्षात्कार जिसने भी किया, फिर सारे कर्म स्वचालित रूप से होंगे।
भीतर से जो परिपूर्ण हुआ, परि पूर्णता केवल वर्तमान को सही ढंग से साधने में ही है, जो वर्तमान क्षणों को जितना साध लेता है,
वह उतना ही जीवन में उन्नति को प्राप्त होता है।
जैसे-जैसे हम इस कला को अपने जीवन का एक अंग बना लेंगे, कमाल घटने लगेगा, सारी उलझने भी हटती है, समय पर हमें सजग होना होता है, वर्तमान समय का जितना सही सदुपयोग हम करते हैं, उतनी ही सजग दृष्टि हममें विकसित होने लगती है, हम आनंदित होकर अपना कार्य उत्साह से करने लगते हैं।
आंतरिक पूर्णता को उपलब्ध हो, स्वयं भी वर्तमान में रहे,
सजकता पूर्वक हर क्षण का उपयोग करें, सफलता आपके साथ-साथ चलने लगेगी।
उत्साह ही जीवन का प्रारंभ है, निरंतर उत्साह बनाये रखें,
निरूत्साहित होकर न जिए, हर दिन एक नया जीवन होता है।
आंतरिक पूर्णता को उपलब्ध हो, वर्तमान का आनंद लें,
स्वयं भी वर्तमान में रहे, सजकता पूर्वक हर क्षण का उपयोग करें।
आनंदमय जीवन तभी होता है, जब हम अपने वर्तमान में होते हैं। वर्तमान समय का सही सदुपयोग करने पर सफलता आपके साथ-साथ चलने लगती है, संघर्ष तो पग- पग पर है।
सभी घटनाओं को परम साक्षी भाव से ग्रहण करें, वर्तमान परिस्थितियों का सही तरीके से अवलोकन करे, समय काल को समझें, समय फिर कभी वापस नहीं आता, जो अपने समय की कद्र नहीं करते, समय भी फिर उनकी कद्र नहीं करता, व्यवस्था को समझें, क्या हो रहा है? क्या करना है? आंतरिक व बाह्य दोनों पलों को हम खूबसूरती से जिये।
विशेष:- वर्तमान में सजग रहे, आपको सजगता पूर्वक सभी कार्यों को करना चाहिये, साक्षी भाव से कार्य को करते रहें, समय काल को महत्व दें, महत्वपूर्ण विषयों की अनदेखी न करें, सजग रहकर अपना कार्य करें।
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