घर से जुड़ाव

प्रिय पाठक गण,
    सादर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, 
मेरा यह ब्लॉक आपको कैसा लग रहा है, कृपया अवश्य बताएं,
प्रतिक्रिया आप ss2311970/@ g.mail. com. पर भेज सकते हैं। 
     आपकी प्रतिक्रिया से मेरा लेखन का हौसला और बढ़ेगा, 
विभिन्न विषय मेरी लेखनी में होंगे, कृपया अवश्य बताएं, आप मेरी कलम को और किन क्षेत्रों की और , जहां पर मेरी कलम के द्वारा 
जागृति व दिशा  बोध दोनों ही हो सके।
      मेरा , "घर से जुड़ाव"  मेरा स्वयं का घर तो है ही, आप सभी पाठक भी जो बड़े ही दिल से मेरी लेखनी का इंतजार करते हैं, वह भी मेरे लिए अपने घर जैसे ही है। 
        आज जब समाज में तनाव व चिंता वह भी बिना कारण के बढ़ रही है, तब मन को बहुत पीड़ा होती है, अभी एक-दो दिन पहले के अखबार में एक खबर पड़ी, नौवीं कक्षा में पढ़ने  वाला 
मासूम सा बच्चा, जो पढ़ने में भी कुशाग्र बुद्धि था, उसने आत्महत्या कर ली, ऐसी खबर मुझे विचलित करती है ।
    आज समाज में मात्र भौतिक प्रगति की और जो ध्यान अत्यधिक है, मेरा ऐसा कहना नहीं है, कि हम उसे और ध्यान न दें,
आज का युग भौतिक युग है, धन भी अनिवार्य है? 
       मगर हम मात्र भौतिक समृद्धि को आधार मानेंगे तो पारिवारिक सामाजिक मूल्य धराशाई हो जायेंगें , अतः दोनों को ही समान महत्व हमें प्रदान करना होगा। 
       हमें नई पीढ़ी को अपने घर के जो भी सदस्य हैं, उनसे जुड़ाश आपस में किस प्रकार हो, यह मंथन हम करें वह इसका निरंतर प्रयास करें, सर्वप्रथम हमें घर में सभी की समस्याओं को समझना चाहिये, उसके उपरांत ही हम उस पर कार्य भी कर सकते हैं ।
     घरके सदस्य में जुड़ाव हेतु हर माह में कोई पिकनिक, जन्मदिवस मिलकर मनाना, एक दूसरे के हितों का ध्यान रखें, अगर कोई शब्द कठोर भी हो, तो वह सब की घर में किस प्रकार से अभिवृद्धि हो, उस भाव से प्रेरित होना चाहिए। 
    परिस्थितियों तो हमेशा ही बदलती रहती है, सर्वप्रथम अपना स्वयं का नजरिया बहुत स्पष्ट रखें, वह उस पर पूर्ण ईमानदारी से कार्य भी करें, जैसे ही आप आप अपने घर के सभी सदस्यों के हित संवर्धन की और कार्य करते हैं, एक जुड़ाव घर में बनता है,
सभी के लिए सोचे, मिलकर घर में रहे, तो स्वर्ग की जो कल्पना है, वह घर में भी पूर्ण हो सकती है। आपसी सामंजस्य व विश्वास बनाए रखें। 
         अकेले चलने से परिवार को लेकर चलना ही सबसे बेहतर है, आखिर हम परिवार में एक दूसरे के सुख-दुख के साथी है।
         सबसे पहले अपने स्वयं को, फिर परिवार को सशक्त करें, फिर कमशः गली, मोहल्ला ,नगर वह राष्ट्र, सब से बाद में विश्व 
इस प्रकार का क्रमशः हम आगे बढ़े ।
       समाज ने भी हमें बहुत कुछ दिया है  , हम इसी समाज का हिस्सा है, तो समझ भी हमारा वृहत परिवार ही है।
      परिवार में आपस में जुड़ाव आवश्यक है, सभी साथ में कुछ समय अवश्य बिताएं, हंसी मजाक करें, संवाद करें, संवाद से ही सारे समाधान होते हैं। 
विशेष:- परिवार में हम सामाजिक मूल्यों की शिक्षा भी अवश्य दें, 
    हम परिवार व समाज में जैसा व्यवहार करेंगे, हमारे बच्चे वैसी
 ही शिक्षा ग्रहण करेंगे। अतः सर्वप्रथम हमें अपने व्यवहार में
सुधार करना होगा। 
आपकाअपना 
सुनील शर्मा 
जय भारत 
जय हिंद

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