सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
हम सभी उसी एक परमपिता के ही अंश है, वही हमें समय अनुसार प्रेरणा प्रदान करते हैं, समय चक्र बदलने में समय भी नहीं लगता, परिवर्तन की नींव धीरे-धीरे डलने लगती है, जब सब और घर अंधेरा हो, तब वासुदेव कृष्ण की शरणागति हमें राह दिखाती है। उसकी अनन्य शरणागति को प्राप्त करने के बाद वे पिता परमेश्वर ही हमें प्रेरणा प्रदान करते हैं, वे अपने धर्म पर अडिग रहते हुए अपने बचाव के लिए भी प्रेरणा देते हैं।
जो भी भक्त उनकी अन्य शरणागति को ग्रहण कर लेता है,
भक्ति अर्जुन सिंह शरणागति को लेकर फिर वह सारे ही संशयो से पार हो जाता है। अपने आचरण की दृढ़ता को अक्षुण्ण रखकर,
भगवान वासुदेव को हृदय से नमन कर वह शंखनाद करता हुआ
अपने जीवन में सदा विजय को ग्रहण करता है।
समय के अनुसार वह कदम उठाता जाता है, मधुर मुस्कान
का आश्रय लेकर वह अपने लक्ष्य का संधान करता हुआ उनकी कृपा को प्राप्त करके अपने लक्ष्यों की ओर निरंतर बढता ही जाता है।
जब भी किसी प्रकार का संकट जीवन में आये, भगवान श्रीकृष्ण की अन्य शरणागति से ही उसे पार किया जा सकता है।
वे लौकिक व पारलौकिक दोनों ही प्रकार की उन्नति को देने वाले हैं, इस प्रकार से जब हम प्रभु की शरणागति को ग्रहण करते हैं, तब किसी भी अन्य की शरणागति कि हमें आवश्यकता ही नहीं होती है।
अपने आप ही वह सारे समीकरणों को उनकी कृपा से उलट कर स्थितियों को अपने भक्तों के पक्ष में कर देता है, संशय का विनाश करने में केवल मेरे प्रभु श्रीकृष्ण ही समर्थ है, उनके जैसा
अन्य कोई भी नहीं, जैसे ही हम उनकी अनन्य शरणागति में आ जाते हैं, मार्ग भी वही दिखलाने वाले हैं, कृपा भी वही करने वाले हैं, मार्ग की बढ़ाएं चाहे जितनी भी हो, केवल उनकी अनन्य शरण मात्र से ही वे हट जाती है।
धैर्य पूर्वक स्थितियों को हम समझे, जिस प्रकार भी हो, लक्ष्य का भेदन हम करें। समय अनुसार क्या रणनीति अपनाना आवश्यक है? इस समझे और आगे बढ़ते जाएं, रणनीतिक तैयारी अवश्य करें, किसी भी संघर्ष में आपका रणनीतिक कौशल बहुत मायने रखता है।
जब प्रभु का वरद हस्त शीश पर हो , कोई भी समस्या बड़ी नहीं होती, सब समाधान निकल ही आते हैं।
अपने कदमों को उनकी शरणागति के आश्रय मैं हम उठाते
जाये, साहस पूर्वक अपनी बात को सभी के समक्ष जब हम रखते हैं, तो परिणाम भी आश्चर्यजनक रूप से आते हैं।
रणनीतिक चातुर्य को प्रथम पायदान पर रखें, उसका बुद्धिमानी पूर्वक उपयोग करें, जैसे ही घटनाक्रमों की आहट हमें मिले, संयम पूर्वक स्थितियों को परखे , अपना मनोबल हमेशा उच्च बनाए रखें, तात्कालिक समझ व दूरदष्टि अवश्य रखें,
वर्तमान समय का सही सदुपयोग वह आगे क्या करना है?
उसका अवलोकन भी करते रहे।
अपने आसपास के वातावरण को सही तरीके से समझे,
पूर्ण सजग दृष्टि रखें, सत्य बल का साथ कभी ना छोड़े, नीतिबान लोगों को एकजुट करें , अपने पुण्य प्रताप को जगाये है, ईश्वरीय कृपा का आश्रय ले, शंखनाद करें, विजय श्री का वरण करे।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत
जय हिंद।
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