आज राम व कृष्ण

प्रिय पाठक गण,
     सादर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, 
हम सभी जिस समाज को परिवेश में रहते हैं, 
वहां क्या घट रहा है, हम देखते हैं वह जो सत्य आंखों से  नजर आता है, वही हम लेखनी के माध्यम से व्यक्त करते हैं।
          आज के समय में हमें जब कलियुग अपने चरम पर है, व्यक्ति कब किस प्रकार का
आचरण करता है ,या करेगा, हमें ज्ञात ही नहीं, जब संपूर्ण समाज में इस प्रकार की अनेक भ्रांतियां हो , तब तो एक लेखक के रूप में 
सभी रुप से जवाबदारी भी बढ़ती है।
         आज का जो इतना विरोधाभासी समय है, तब हमें राम व कृष्ण दोनों ही व्यक्तित्व के मूल तत्वों को कहां पर कैसे हम अनुसरण करें, यह बोध भी आवश्यक है।
       प्रसंग वश आपको बता दूं, कई बार सभी से बात करते-करते भी कोई विषय मिल जाता है, और से लगता है इस पर लिखना जरूर चाहिये, इसी प्रकार चर्चा में राम और कृष्ण पर चर्चा हुई, इस चर्चा के उपरांत  यह लेख लिखा है।
   मुझे लगा यह तो लेखन के लिए अच्छा विषय है इस पर अवश्य कुछ लिखना चाहिये।
तो पुनः आते आज के विषय पर, अपने घर में हमें राम जी के जीवन को आदर्श बनना चाहिये, लेकिन जब हम घर से बाहर अपना कदम रखते हैं, तब हमें कृष्ण भगवान की ही भांति चतुर व चपल होना होगा , जहां हम घर में भगवान राम की भांति त्यागमय  आचरण का अनुसरण करें, वही हमें समाज में कृष्ण भगवान की भांति चतुर समयानुकूल  रणनीति को अपनाना होगा।
        हमें भगवान कृष्ण के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेना होगी, जाने समाज के अधिकतम हित हेतु अन्याय को खत्म करने के लिये हर  वह तरीका अपनाया , जो वे कर सकते थे, उन्होंने छली को छल से , बली को बल से इस प्रकार की नीति को अपनाया, साथी वे सज्जनों से प्रेम पूर्वक, दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों से कड़ाबर्ताव करना चाहिये।
      आदर्श की बात करते समय वर्तमान में समाज में जो घट रहा है, उसे अनदेखा न करें।
हमें वास्तविकता व कृत्रिम सत्यताता का भेद समझना होगा, केवल सतही तौर पर न देखकर तथ्यों को प्रमाणो के आधार पर हमें कार्य करना चाहिये। दूर दृष्टि रखकर किसी भी फैसले को 
करना चाहिये। कोई भी फैसला करते समय हमें फैसले के बाद होने वाले परिणामों पर भी नजर रखना चाहिये, फैसला करते समय हमें सजगता, ईमानदारी, सत्यता व सामंजस्य इन सभी बातों का समावेश करना चाहिये। तभी हम किसी बेहतर परिणाम की उम्मीद कर सकते हैं। 
      वास्तविकता से आंखें फेर लेने से  वास्तविकता खत्म नहीं होती , आप भले उसे कितनी ही सफाई से छिपा ले, सत्य उजागर हो ही जायेगा।
विशेष:-   हमें घर में राम सा, बाहर कृष्ण सा
आचरण रखना होगा, क्योंकि बाहर समाज में 
अनेक प्रकार की विचारधारा के व्यक्ति हमें मिलते हैं, विभिन्न विचारधारा एवं घटकों का संगम होता है, तब हमें कृष्ण भगवान सी चपलता   व विवेक दोनों ही चाहिये। 
आपका अपना 
सुनील शर्मा 
जय भारत, 
जय हिंद, 
मातरम।मातरम

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