अंतर्यात्रा भाग 11

प्रिय पाठको ,
सादर नमन

आप सभी का दिन शुभ हो मंगलमय हो आज अंतर्यात्रा में हम बात करेंगे की प्राकृतिक रूप से हम सभी में कुछ विशेषताएं ऐसी मिली होती है जो अन्य लोगों में नहीं होती है । कोई खेलों की और ज्यादा आकृष्ट होता है कोई कला की ओर किसी में संगीत की अधिक समझ होती है कोई मानवीय मनको भली भांति पढ़ लेता है. कुल मिलाकर मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि हमें अपनीमौलिकता पर ध्यान देने की आवश्यकता है न की नकल पर ।

अपनी मूल अभिरुचि किन विषयों में है वह जानना जरूरी है क्योंकि आपकी. अभिरुचि जिस मे।रहा ह आप उन से अधिक प्रेरित होते हैं अपने आप को जानने की प्रक्रिया में आप अपनी रुचिजिन क्षेत्रों में है उन्हें पहले जाने वह देखें कि जिन  रुचि है उन क्षेत्रों में आपके प्रयास कैसे हैंजिस क्षेत्र में आप की.रुचि.होगी.उसमेँ।आप  बड़ी आसानी से उपलब्धियों को हासिल कर सकते हैं क्योंकि आप का मानसिक झुकाव. जिस क्षेत्र की ओर है उस मे आप स्वयं अपना अपना नाम अवश्य करें मारी स्वतंत्र सोच अगर होती तो हम सब से पहले क्या करना पसंद करते हैं

दरअसल जिस क्षेत्र को हम पसंद करते हैं उसमें हम अधिक उन्नति की ओर अग्रसर हो सकते हैं इसके लिए हमें अपनी मौलिक अभिरुचि को जानने का प्रयास करना चाहिए शांत होकर जब आप बैठेंगे तब आप स्वयं अपनी विशेषताओं का।आकलन कर सकेंगे जो विशेषताएं आपने मौलिक रुप में है वही आपको अन्य लोगों से भिन्न स्वरुप प्रदान करती है आपकी मौलिकता आपको अन्य लोगोंं से अलग कर रही है अपने स्वरूप वह विशेषताओं को जानने पर ही आप स्वयं की उन्नति कर सकते हैं फिर वह चाहे आर्थिक मानसिक या बौधिक  उन्नत ही क्यों ना हो

आशा है आप सभी को मेरे लेखों में विविधता का दर्शन हो रहा होगा जिस भी व्यक्ति का जो मूल स्वभाव होता है वह उसके ज्यादा अनुकूल होता है अपने मौलिसुबह को जरुर जानिए

विशेष = किसी भी की नकल न करके अपने मूल स्वभाव में जियो निश्चित ही आप अंदर से काफी अच्छा महसूस करेंगे

आपका अपना
सुनील शर्मा

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