देश का वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य

प्रिय पाठक गण,
सादर वंदन,
आप सभी को मेरा मंगल प्रणाम,
देश की राजनीति में बदलाव के संकेत दिख रहे हैं, मतदाता बधाई के पात्र हैं। जनतांत्रिक व्यवस्था में जनता ही सिरमौर होती है, यह इस चुनाव ने सिद्ध किया है।
     मगर इन चुनावों के बाद एक यक्ष प्रश्न यह उभर कर आता है कि भारतीय जनता को सब कुछ मुफ्त में चाहिए, यह एक अच्छा संकेत तो निश्चित ही नहीं है, स्वयं की गरिमा को भी आहत करता है।
    इस देश को ऐसे जनतंत्र की आवश्यकता है, जहां हम देश की प्रगति के लिए कार्य करें, नकी देश से मुफ्त सेवाओं की उम्मीद रखें।
    यह देश की जनता, राजनेता, विचारकों सभी को समझना होगा।इसके लिए हमें स्कूलों में पांचवी से आठवीं के स्तर पर नैतिक मूल्यों की स्थापना पर अवश्य जोर देना चाहिए, जहां पर बालमन संस्कारित होते हैं।
   हमें अपनी प्राचीन संस्कृति का अध्ययन अवश्य करवाना चाहिए, उस में छुपे मुल्यों से अवगत करना हमारा कर्तव्य है।
   अभी भी देश की राजनीतिक पार्टियां आपराधिक तत्वों को टिकट देती है, यह जनता को चाहिए ऐसे लोगों को ना चुने, चाहे वह किसी भी राजनीतिक पार्टी से क्यों न आते हो।
    तभी इस राष्ट्र का संपूर्ण जागरण हो सकेगा, देश के नौनिहालों को सही शिक्षा द्वारा संस्कारित किया जा सकता है, उन्हें हमारी गौरवशाली परंपराओं व उनके मूल्यों से परिचित अवश्य करवाना चाहिए।
    अगर देश की महिला शक्ति राजनीतिक व सामाजिक रूप से सक्रिय भूमिका निभाएं तो देश में एक क्रांतिकारी  परिवर्तन लाया जा सकता है।
   अभी जो भी राजनीतिक बदलाव हो रहा है वह फिर भी सुखद इसलिए है कि आज भी लोग विकास  कार्य करने वाली सरकार चाहते हैं, पर अभी कई राजनीतिक आयामों को हमें समझना होगा।
    देश में ऐसे प्रखर नेतृत्व की जरूरत है, जो सबको समग्र राष्ट्र हित के लिए प्रेरित कर सकें, ऐसे एक नहीं कई व्यक्तित्वो की इस देश को जरूरत है, जो इसके नवनिर्माण व नव सृजन की प्रक्रिया का हृदय से हिस्सा बने।
जय हिंद जय मां भारती
भारत माता के चरणों में शत शत वंदन।
विशेष:-सामाजिक संरचना  हमारे देश की मौलिक संस्कृति हमारी सबसे बड़ी ताकत है, हमें इसे पुनर्जीवित करना चाहिए, इस देश की राजनीतिक दिशा तभी बदलेगी, जब जनता भी सक्रिय होकर इस में भाग ले,भ्रष्टाचार वाले प्रतिनिधि चाहे किसी भी दल के हों उनका बहिष्कार करें,हमारी नजर में देश हित सर्वोपरि होना चाहिए ना कि कोई राजनीतिक दल, जय हिंद।
आपका अपना
 सुनील शर्मा।

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