मनस्वी बने

प्रिय पाठक वृंद,
सादर नमन,
       आप सभी को सादर मंगल प्रणाम, आइए,प्रवाह की इस धारा में हम आज मनस्वी बने ,इस विषय पर थोड़ा चिंतन करें।
       मनस्वी बने, हम जो भी कर्म करते हैं, पूर्ण मनोयोग पूर्वक करें। आप सांसारिक, भौतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, व्यापारिक या अन्य कोई भी क्षेत्र कि हम बात करें,बिना अपने मन को साधे हम किसी भी क्षेत्र में उन ऊंचाइयों तक नहीं पहुंच सकते, जहां तक हम जा सकते थे।
       मन को साधना ही सबसे बड़ी तपस्या है, उसे साधे बिना किसी भी समस्या का समाधान निकलना संभव नहीं है।
      मन के हारे हार है, मन के जीते जीत, जिसने अपने मन को धैर्य पूर्वक अपने बस में कर रखा है, वही मनस्वी है।
     अपने मन को उचित रूप से साघे बिना आप हर क्षेत्र में असफल ही रहेंगे। पूर्ण मनोयोग पूर्वक वह दत्तचित्त होकर किया गया कार्य निश्चित ही अद्भुत परिणाम लाता है।
 विशेष:-मनस्वी बने, अपने मन पर नियंत्रण रखें, विचारों को जांचते रहे, किसी भी अन्य प्रभाव में न आते हुए अपनी वैचारिक दृढ़ता वह मन स्थिति को कायम रखें, आगे बढ़े।
आपका अपना
सुनील शर्मा

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