सादर नमन,
आज प्रवाह में हम बात करेंगे सत्यम ,शिवम ,सुंदरम।
इस वाक्य में ही इसका सुंदर व गहन अर्थ छिपा हुआ है, सत्य ही शिव है, वह शिव ही सुंदर है।
अगर हम तत्व रूप से भी इसका विवेचन करे तो कई बार लोकोक्ति में भी कहा जाता है " भोले का भंडारी" यानी
की जो अंतर मन से भीतर से पवित्र है, भोला है, उसके भंडार में कभी भी कमी नहीं आयेगी।
अब हम शिवजी की जो मूर्ति हैं, अगर हम उसे देखते हैं, तो वह ध्यानमग्न व निर्विकार भाव को दर्शाती है, यानी शिवजी
जो है, वह आत्म तत्व में रमण करने वाले हैं, उनकी मूर्ति हमसे यह कथन अपने स्वरूप द्वारा कह रही है की भीतर की और दृष्टि करें, हमारे सारे विचार भीतर से आते हैं, बाद में वही विचार क्रिया रूप में व वाणी द्वारा भी प्रकट होते हैं।
शिवजी प्रथम राम भक्त हैं, जो राम जी का स्मरण करते हैं, अब विचार करें रामजी कौन है, जो सदैव सत्य का अनुसरण करने वाले हैं, सत्य की खातिर वह अपना सिंहासन छोड़कर भी वनवास जाने को तैयार होते हैं। जो बुजुर्गों का सम्मान भी करते हैं, बराबरी वालों से प्रेम से पेश आते हैं व वह अपने से कम उम्र वालों से स्नेह करते हैं, यह तीन गुण जिसमें भी हो, समझो वह उन्हीं का स्वरूप है।
फिर विषय पर आते हैं, जो भी जीवन में सत्य का पूर्ण रूपेण अनुसरण करते हैं, वही सत्य उनके जीवन में "सत्यम, शिवम, सुंदरम" बन जाता है व यथार्थ की तरफ आपको ले जाता है। जो भी परम सत्य है, वह हमारे भीतर ही है, हम जो भी व्यवहार करते हैं, वह कोई जाने या न जाने, हम स्वयं तो भली-भांति जानते हैं।
आज के वर्तमान दौर में यह आपको थोड़ा कठिन प्रतीत होता है, मगर सत्य का अनुसरण करने वाला कभी भी परास्त नहीं होता, सत्य धर्म है, सत्य भी ऐसा, जो मानवीय हित को ध्यान में रखकर समग्र सृष्टि के कल्याण भाव से ओत-प्रोत हो,
जी सत्य में मंगल कामना छुपी हो, जो अपनी पूर्ण शक्ति से सत्य
का अनुसरण करते हैं, वे संसार में अवश्य ही यश के भागी होते हैं।
इस प्रकार सत्य ही शिव है, वह शिव ही सुंदर है , इसका सही भावार्थ इसी बात में छिपा हुआ है, कई बार व्यवहारिक रूप में सत्य का अनुसरण करते हुए भी पाते हैं की घटनाक्रम जैसा घटना चाहिए वैसा घटित नहीं हुआ है, पुनरावलोकन करिये, आपको स्वयं समझ आ जायेगा।
सत्य पर अडिग रहिये, आखिरकार सत्य ही जीतता है,
आज भी बस उसे आप अपने जीवन में किस प्रकार नियोजित करते हैं, सब कुछ उस पर ही निर्भर हैं।
इति शुभम भवतू।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत।
जय हिंद।
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